Political Science Subjective Question Answer PDF Download
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर किन्हीं 10 प्रश्नों के उत्तर दें।
अति महत्त्वपूर्ण मॉडल सेट – 6
Q.1. भारत में निर्वाचन का उत्तरदायित्व किस पर है?
Ans. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 में संसद, राज्य विधान मंडल के साथ-साथ राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और निर्वाचन नामावलियों की तैयारी पर नियंत्रण रखने के लिए निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है। अतः केन्द्र और राज्य दोनों स्तर पर निर्वाचन का उत्तरदायित्व निर्वाचन आयोग पर है।
Q.2. संक्षेप में परमाणु युद्ध के प्रभावों का वर्णन करें।
Ans. परमाणु युद्ध के निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं
(i) परमाणु अस्त्र न केवल युद्ध में लड़ने वाले देशों का बल्कि मानव मात्र का विनाश कर सकते हैं।
(ii) यदि सभी देशों की शक्ति इकट्ठी कर दें जिनके पास परमाणु बम हैं, तो वह शक्ति इतनी होगी कि सारे विश्व को कई बार नष्ट किया जा सकता है।
(iii) वैज्ञानिकों का विचार है कि यदि परमाणु बम का प्रयोग किया गया तो बम गिरने से रेडियोधर्मिता के बादल तेजी से उठेंगे और सुदूर स्थानों में रहने वाले करोड़ों लोग भी इसके चपेट में आ जायेंगे।
(iv) यदि विश्व में परमाणु युद्ध हुआ तो पूरी मानव जाति नष्ट हो जायेगी।
Q.3. निःशस्त्रीकरण की परिभाषा दीजिए।
Ans. निःशस्त्रीकरण का अर्थ है विनाशकारी हथियारों/अस्त्र-शस्त्रों के उत्पादन पर रोक लगाना तथा उपलब्ध विनाशकारी हथियारों को नष्ट करना शस्त्र नियंत्रण की दिशा में विभिन्न राष्ट्र प्रेरित होकर अपने शस्त्र भण्डारों में जो कमी कर रहे हैं तथा अपने सैनिक व्यय में जो कमी कर रहे हैं, ये सब प्रयास निः शस्त्रीकरण के अन्तर्गत ही आते हैं। जेनेवा में होने वाले निःशस्त्रीकरण सम्मेलन में भारत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
Q.4. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख कार्य बतायें।
Ans. विश्व स्वास्थ्य संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष संस्था है। इसकी स्थापना 1948 ई. में की गयी थी। इस संस्था का प्रमुख उद्देश्य विश्व के सभी देशों के नागरिकों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करना है। इसका कार्यालय जेनेवा में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
(i) नई-नई औषधियों की खोज करना।
(ii) नशीली वस्तुओं के प्रयोग की रोकथाम करना।
(iii) हैजा और तपेदिक जैसी बीमारी को खत्म करना।
(iv) संसार के सभी देशों को B.C.G. के टीके भेजने का कार्य करना।
Q.5. गैर-कांग्रेसवाद से आप क्या समझते हैं?
Ans. गैर-कांग्रेसवाद वह स्थिति थी जो विभिन्न विरोधी राजनीतिक दलों ने कांग्रेस के खिलाफ उत्पन्न की तथा इस बात के लिए वातावरण बनाने का प्रयास किया कि कांग्रेस के प्रभुत्व को कम किया जाये। विरोधी दलों ने विभिन्न राज्यों में बढ़ती महंगाई के खिलाफ हड़ताल, धरने व विरोध प्रदर्शन किये गैर-कांग्रेसवाद के विकास का उद्देश्य यह भी था कि कांग्रेस के खिलाफ पड़ने वाले वोटों को विभाजित होने से रोका जाये क्योंकि गैर-कांग्रेसी वोट विभिन्न विरोधी दलों के उम्मीदवारों में ना बढ़ पाये जिससे कांग्रेस के उम्मीदवारों को इसका फायदा ना मिले। 1967 के आम चुनाव में यही हुआ कि गैर-कांग्रेसी वोट विभिन्न उम्मीदवारों में बंट जाने के बजाय एक ही उम्मीदवार को मिली जिससे कांग्रेस की सीटों व मतों के प्रतिशत में भी गिरावट आ गई। इस चुनाव में कांग्रेस को 9 राज्यों में सरकारें खोनी पड़ी व केन्द्र में भी कांग्रेस को केवल साधारण बहुमत ही प्राप्त हुआ। इसके बाद भी कई आम चुनावों में यही स्थिति देखी गई।
Q.6. भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ शिमला समझौता क्या था ?
Ans. 1971 के भारत-पाक युद्ध की समाप्ति के बाद भारत-पाकिस्तान देशों में 1972 में शिमला समझौता हुआ था। इस समझौते में निम्न तथ्यों पर जोर दिया गया था
(i) दोनों देश अपने परस्पर विवादों को शांतिपूर्ण उपायों से हल करेंगे।
(ii) दोनों देश मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देंगे।
(iii) दोनों देश अपने मतभेदों को द्विपक्षीय बातचीत द्वारा दूर करेंगे अथवा उन शांतिपूर्ण उपायों से करेंगे जो दोनों को स्वीकार होंगे।
(iv) दोनों देश किसी की ऐसी सहायता नहीं करेंगे जिससे दोनों देशों के संबंधों में कटुता आए।
(v) पंचशील के सभी नियमों का दोनों देश सम्मान करेंगे।
(vi) यातायात, संचार, संस्कृति, विज्ञान आदि में दोनों देश एक-दूसरे की सहायता व आदान-प्रदान करेंगे।
Q.7. गुटनिरपेक्ष आन्दोलन के किन्हीं दो उद्देश्यों का उल्लेख करें।
Ans. गुटनिरपेक्ष आन्दोलन विशेष परिस्थितियों में प्रारम्भ हुआ था। आरंभ में गुट निरपेक्षता भारत की विदेश नीति का महत्वपूर्ण सार था परन्तु बाद में संसार को बड़े गुटों (अमेरिकी एवं सोवियत संघ गुट) में बँट जाने से इस गुटनिरपेक्षता ने एक आन्दोलन का रूप धारण कर लिया। तब कुछ और देशों ने भी गुटनिरपेक्षता को सैनिक गुटों में बँटे संसार के लिए शांति दूत मान लिया। युद्ध के निकट आने वाले संसार को गुटनिरपेक्षता की आवश्यकता थी। सैनिक हथियारों की होड़ न करने वाले देशों को गुटनिरपेक्षता की आवश्यकता थी। भारत ने यह विदेश नीति व आंदोलन दोनों संसार को दिये थे।
Q.8. सामाजिक न्याय से आप क्या समझते हैं?
Ans. काफी प्राचीनकाल से ही विद्वानों ने आर्थिक न्याय के साथ-साथ सामाजिक न्याय की धारणा पर विचार किया है। अरस्तू, कौटिल्य आदि के नाम इस संबंध में उल्लेखनीय हैं। लेकिन 19वीं शताब्दी के सामाजिक आंदोलनों ने इस धारणा को अधिक विकसित किया। फ्रांस की राज्य क्रांति ने सामाजिक न्याय का राजनीतिक स्वतंत्रता से घनिष्ठ संबंध जोड़कर इस अवधारणा को काफी महत्त्व प्रदान किया। वर्तमान काल में तो यह स्वीकार किया जा सकता है। कि विश्व शांति की स्थापना सामाजिक न्याय के आधार पर ही संभव है। संयुक्त राष्ट्रसंघ इस दिशा में विशेष रूप से प्रयत्नशील है।
Q.9 प्रस्तावना से क्या समझते हैं ?
Ans. विश्व के प्रत्येक देश के संविधान की अपनी एक प्रस्तावना होती है। इस प्रस्तावना में संविधान निर्माताओं के विचार एवं उद्देश्य के साथ-साथ संविधान तथा देश के मौलिक लक्ष्यों की अभिव्यक्ति रहती है। देश के आधारभूत दर्शन, मूल आस्थाएँ तथा नागरिकों की आकांक्षाओं का स्पष्टीकरण प्रस्तावनारूपी आईने में ही होता है। अतएव, प्रस्तावना संविधान के दर्पण के रूप में कार्य करती है। संविधान की प्रस्तावना का वही महत्त्व है जो महत्त्व किसी पुस्तक की प्रस्तावना का होता है। इसीलिए, प्रस्तावना को ‘संविधान की कुंजी’ कहा गया है, जिसका समर्थन अनेक विद्वानों ने किया है। प्रस्तावना संविधान को उत्कृष्ट रूप प्रदान करती है और उसके अस्पष्ट उपबन्धों के स्पष्टीकरण में सहायक होती है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भी संविधान के स्रोत, आदर्श एवं लक्ष्यों की घोषणा है। प्रस्तावना की भाषा ब्रिटिश, उत्तरी अमेरिकी अधिनियम के अनुसार ढ़ाली गई है और उसमें यत्र-तत्र आस्ट्रेलिया के संविधान की प्रस्तावना से भी भाव एवं भाषा ग्रहण की गई है। इसके अलावा, भारतीय संविधान की प्रस्तावना पर पं. जवाहरलाल नेहरु द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (Objective resolution) का भी व्यापक प्रभाव है। उस प्रस्ताव में कहा गया था, ‘यह संविधान सभा भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न लोक तंत्रात्मक गणराज्य घोषित करती है और उसकी शासन व्यवस्था के लिए एक संविधान निर्मित करना चाहती है।
Q.10. मौलिक अधिकारों का वर्णन करें।
Ans. अधिकार किसी भी प्रजातांत्रिक राज्य की आधारशिला है। यह वह गुण है जिसके कारण राज्य की शक्ति के प्रयोग में नैतिकता का समावेश होता है और वह नागरिकों के आदर्श एवं सुखमय जीवन के लिए नितांत आवश्यक होता है।
भारतीय नागरिकों के मूल अधिकार निम्न हैं
1. समता का अधिकार,
2. स्वतंत्रता का अधिकार,
3. शोषण के विरूद्ध अधिकार,
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार,
5. सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार,
6. सम्पत्ति का अधिकार और
7. सांवैधानिक उपचारों का अधिकार।
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Political Science all chapters Important question
भाग – A | समकालीन विश्व की राजनीति |
1 | शीत युद्ध का दौर |
2 | दो ध्रुवीयता का अंत |
3 | समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व |
4 | सत्ता के वैकल्पिक केंद्र |
5 | समकालीन दक्षिण एशिया |
6 | अंतर्राष्ट्रीय संगठन |
7 | समकालीन विश्व में सुरक्षा |
8 | पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन |
9 | वैश्विकरण |
भाग – B | स्वतंत्रता के समय से भारतीय राजनीति |
1 | राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियां |
2 | एक दल के प्रभुत्व का दौर |
3 | नियोजित विकास की राजनीति |
4 | भारत के विदेश संबंध |
5 | कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना |
6 | लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट |
7 | जन आंदोलनो का उदय |
8 | क्षेत्रीय आकांक्षाएं |
9 | भारतीय राजनीति : नए बदलाव |
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