Political Science Class 12 Important Question Answer
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर किन्हीं 10 प्रश्नों के उत्तर दें।
अति महत्त्वपूर्ण मॉडल सेट – 7
Q.1. संयुक्त राष्ट्र की महासभा के संगठन की विवेचना कीजिए।
Ans. महासभा संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च अंग है और एक प्रकार से विश्व की संसद के समान है। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य इसके सदस्य होते हैं और प्रत्येक सदस्य राष्ट्र इसमें पाँच प्रतिनिधि भेजता है, लेकिन उनका मत एक ही होता है। प्रायः वर्ष में एक बार इसका अधिवेशन होता है। इसकी स्थापना के समय इसके सदस्यों की कुल संख्या 51 थी जो बाद में बढ़ते बढ़ते अब 185 के करीब है। 1992 के आरंभ में सोवियत संघ के समाप्ति होने से उसके पूर्व स्वाय गणराज्य अब स्वतंत्र होकर इसके सदस्य बन गये हैं।
Q.2. क्या गुट निरपेक्षता एक नकारात्मक नीति है?
Ans. नहीं, गुट निरपेक्षता को कभी भी नकारात्मक नीति की संज्ञा नहीं दी जा सकती है क्योंकि दो विरोधी गुटों (पूँजीवादी एवं साम्यवादी) से अलग हटकर विकासशील देशों की राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का समाधान ढूंढने की बात सोची गई थी। उन दोनों में से किसी एक ग्रेट के सदस्य होने का मतलब ही था उसका गुलाम बनकर रहना। इसके अतिरिक्त गूट निरपेक्षता नीति का मुख्य उद्देश्य था शांति कायम करके अपने-अपने देशों का विकास करना जो सर्वथा उचित था। यदि यह नकारात्मक नीति होती तो आज शीत युद्ध के समाप्त हो जाने के बाद भी इसकी आवश्यकता एवं प्रसांगिकता नहीं होती। जो एक ऐतिहासिक सत्य है।
Q.3. नाटो क्या है ?
Ans. उत्तरी अटलांटिक सन्धि संगठन (नाटो) का निर्माण 4 अप्रैल, 1949 को हुआ। इस सन्धि पर 12 देशों-अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, कनाडा, बेल्जियम, डेनमार्क, लग्जमबर्ग, नावें, पुर्तगाल, आइसलैण्ड तथा नीदरलैण्ड ने हस्ताक्षर किये। बाद में यूनान, टर्की, पश्चिमी जर्मनी, पोलैण्ड, हंगरी, चैक गणराज्य को इसमें सम्मिलित कर लिया गया।
नाटो का निर्माण निम्न उद्देश्यों के लिये किया गया था
1. सोवियत साम्यवाद को रोकना।
2. सैन्य तथा आर्थिक विकास के लिये अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिये यूरोपीय राष्ट्रों के लिये सुरक्षा छतरी प्रदान करना।
3. सोवियत संघ के साथ सम्भावित युद्ध के लिये लोगों को विशेषतया अमरीका के लोगों को मानसिक रूप से तैयार करना।
Q.4. पंचायती राज से क्या समझते हैं ?
Ans. पंचायती संस्थाओं का तात्पर्य ग्रामीण प्रशासनिक संस्थाओं से है। भारत में प्राचीनकाल से ही पंचायती संस्थाओं का अस्तित्व रहा है, क्योंकि भारत के ग्रामों के विकास के बिना देश की उन्नति असम्भव है और ग्रामों का विकास ग्रामीण प्रशासन द्वारा ही सम्भव है। भारत में वैदिक काल में ग्राम प्रशासन का उत्तरदायित्व ग्राम पर ही था जो ग्राम के प्रमुख व्यक्तियों की सहायता से काम करता था। सन् 1920 में संयुक्त प्रान्त, असम, बंगाल, बिहार, मद्रास और पंजाब में ग्रामीण उत्थान के लिए पंचायतों की स्थापना के लिए कानून बनाये गये। भारत में पंचायती राज व्यवस्था की शुरूआत 1952 में हुई जो 1992 में पुनः संशोधित किया गया।
Q.5. सरपंच की शक्तियों का वर्णन करें।
Ans. प्रत्येक ग्राम कचहरी में सरपंच पद के लिए निम्नरीति से स्थान आरक्षित किये जायेंगे।
(क) अनुसूचित जातियाँ,
(ख) अनुसूचित जनजातियाँ और
(ग) पिछड़े वर्गों के लिए; ग्राम कचहरी के सरपंच और उप सरपंच की पदावधि, ग्राम कचहरी के पंच के रूप में उसकी पदावधि के समाप्त होने पर समाप्त हो जाएगी।
(1) इस अधिनियम के उपबंधों और इसके अधीन बने नियमों के अधीन,
(क) ग्राम कचहरी और उसके पीठों का अध्यक्ष होगा;
(ख) पक्षकारों के आवेदन और पुलिस रिपोर्ट पर वाद और मामला लेगा; सरपंच
(ग) पक्षकारों और गवाहों की उपस्थिति के लिए कार्रवाई करेगा; और
(घ) यथाविनिर्दिष्ट अन्य शक्तियों का प्रयोग और अन्य कर्तव्यों का निष्पादन करेगा। अधिनियम के अधीन दायर किया जाने वाला प्रत्येक वाद या मामला सरपंच के यहाँ दायर किया जाएगा और जहाँ सरपंच की सेवाएं उपलब्ध नहीं हो वहाँ उस सरपंच के यहाँ और ग्राम कचहरी की किसी न्याय पीठ द्वारा जिसमें सरपंच तथा बाद और मामले से सम्बन्धित पक्षकारों द्वारा नामित किए जाने वाले ग्राम कचहरी के पंचों में से दो पंच और यथा विहित रीति से सरपंच द्वारा चुने गए दो अन्य पंच शामिल होंगे सुनवाई की जाएगी और उसका अवधारण किया जाएगा।
Q.6. नगर निगम के कार्यों का वर्णन करें।
Ans. बड़े शहरों की समस्याएँ भी बड़ी होती हैं। इस कारण जब नगर निगम अधिनियम बना उसी समय इसके कार्यों की सूची भी तैयार की गयी। जानकारी के लिए ये कार्य निम्नलिखित भागों में बाँटे जा सकते हैं
1. जन-सुरक्षा संबंधी कार्य
2. शिक्षा तथा संस्कृति संबंधी कार्य
3. विकास सम्बन्धी कार्य
4. सार्वजनिक कल्याण
5. सार्वजनिक सुविधा के अन्तर्गत आने वाले विषय हैं 6. जन स्वास्थ्य तथा चिकित्सा
Q.7. श्वेत क्रान्ति से क्या अभिप्राय है?
Ans. आपरेशन फ्लड परियोजना (operation Flood Scheme) देश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए चलाई गयी योजना है। यह योजना श्वेत क्रान्ति के नाम से भी जानी जाती है। यह योजना तीन चरणों-1970 से 1978, 1978 से 1985 तथा 1985 से 1994 में चलाई गयी थी। इस योजना के फलस्वरूप भारत में दुग्ध उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई। दूध उत्पादन की वृद्धि के कारण इसे श्वेत क्रान्ति कहा जाता है। इस क्रान्ति से देश में दुग्ध उत्पादन, वितरण तथा उपभोग काफी बढ़ा है। इससे रोजगार में भी काफी वृद्धि हुई है।
Q.8. पर्यावरण संरक्षण क्या है?
Ans. वे भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन जो पर्यावरण में अवांछनीय परिवर्तन कर देते हैं। वे पर्यावरण प्रदूषण कहलाते हैं। अतः पर्यावरण का संरक्षण नितांत आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण के मूलतत्व हैं वन, झील, नदी, पेड़-पौधों तथा पहाड़ों का संरक्षण। इसमें वन्य जीवन का संरक्षण एवं संवर्धन, शुद्ध पेय जल का संवर्धन इत्यादि आते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में पर्यावरण संरक्षण को नागरिकों का मूल कर्तव्य कहा गया है। भारत सरकार ने भी पर्यावरण संरक्षण हेतु अनेक कानून बनाये हैं।
Q.9. उत्तर दक्षिण संवाद का क्या ध्येय था?
Ans. हमारी पृथ्वी दो गोलाद्धों में विभक्त है-उत्तरी गोलार्द्ध तथा दक्षिणी गोलार्द्ध उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप का क्षेत्र आता है। दक्षिण गोलार्द्ध में एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका का क्षेत्र आता है। उत्तरी गोलार्द्ध में उन्नत, समृद्ध तथा विकसित देश हैं जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में निर्धन पिछड़े तथा विकासशील देश अधिक हैं। दोनों तरह के देशों में कई बार विचार-विमर्श हुए तथा दोनों गोलाद्धों की स्थिति में समानता हेतु कई बार संवाद हुए जिसमें 1975 का पेरिस सम्मेलन प्रमुख है। इसके बाद 1986 से 1993 में गैट समझौते हुए लेकिन इन सम्मेलनों का दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों पर कोई अनुकूल प्रभाव नहीं पड़ा।
Q.10. द्विधुव्रीय विश्व की समाप्ति के बाद गुटनिरपेक्ष आंदोलन की क्या प्रासंगिकता थी?
Ans. द्विध्रुवीय विश्व की समाप्ति के बाद गुट निरपेक्ष आंदोलन अप्रासंगिक नहीं हुआ बल्कि इसकी प्रासंगिकता बनी रही। गुट निरपेक्ष आंदोलन ने दो ध्रुवीय विश्व की समाप्ति के बाद एशिया, अफ्रोका और लातिनी अमेरिका के नव-स्वतंत्र देशों को एक तीसरा विकल्प दिया। यह विकल्प था- दोनों महाशक्तियों के गुटों से अलग रहने का गुट निरपेक्षता की प्रासंगिकता आज भी है।
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Political Science all chapters Important question
भाग – A | समकालीन विश्व की राजनीति |
1 | शीत युद्ध का दौर |
2 | दो ध्रुवीयता का अंत |
3 | समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व |
4 | सत्ता के वैकल्पिक केंद्र |
5 | समकालीन दक्षिण एशिया |
6 | अंतर्राष्ट्रीय संगठन |
7 | समकालीन विश्व में सुरक्षा |
8 | पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन |
9 | वैश्विकरण |
भाग – B | स्वतंत्रता के समय से भारतीय राजनीति |
1 | राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियां |
2 | एक दल के प्रभुत्व का दौर |
3 | नियोजित विकास की राजनीति |
4 | भारत के विदेश संबंध |
5 | कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना |
6 | लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट |
7 | जन आंदोलनो का उदय |
8 | क्षेत्रीय आकांक्षाएं |
9 | भारतीय राजनीति : नए बदलाव |
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