Economics Subjective Question bihar board PDF Download
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर किन्ही 10 प्रश्नों के उत्तर दें।
अति महत्वपूर्ण मॉडल सेट – 1
Q. 1. व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर स्पष्ट कीजिए।
Ans. व्यष्टि अर्थशास्त्र
1. यह शाखा व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों का अध्ययन करती है।
2. कीमत सिद्धांत एवं संसाधन के आवंटन की समस्या का अध्ययन इस शाखा में किया जाता है।
3. माँग एवं आपूर्ति इस शाखा के प्रमुख उपकरण हैं।
4. इसमें उपभोक्ता संतुलन, उत्पादक संतुलन आदि का विश्लेषण किया जाता है।
समष्टि अर्थशास्त्र
1. समष्टि में सामूहिक आर्थिक इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।
2. इस शाखा में आय एवं रोजगार निर्धारण सिद्धांत का अध्ययन किया जाता है।
3. सामूहिक माँग व सामूहिक पूर्ति इस शाखा के प्रमुख उपकरण हैं।
4. इसमें आय एवं रोजगार के साम्य निर्धारण का अध्ययन किया जाता है।
Q.2. व्यावसायिक बैंक की दो विशेषतायें बताइये।
Ans. किसी भी देश की बैंकिंग प्रणाली में व्यावसायिक बैंक का महत्वपूर्ण स्थान है। व्यावसायिक बैंक अल्प तथा दीर्घ अवधि के लिए छोटे-छोटे व्यापारियों को आसान किस्तों तथा न्यूनतम ब्याज पर ऋण प्रदान करते हैं। व्यावसायिक बैंक सोना, आभूषण, दस्तावेज तथा अन्य बहुमूल्य वस्तुओं को सुरक्षित रखने की सुविधा प्रदान करते हैं।
Q.3. ऐच्छिक एवं अनैच्छिक बेरोजगारी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
Ans. जब व्यक्ति काम करने की क्षमता रखते हुए भी आलस्य अथवा कम मजदूरी के कारण काम करना नहीं चाहते तो इसे ऐच्छिक बेरोजगारी कहते हैं। इसके विपरीत जब व्यक्ति मजदूरी की प्रचलित दर पर काम करना चाहते हैं किन्तु उन्हें काम नहीं मिलता है तो इसे अनैच्छिक बेरोजगारी कहते हैं।
Q.4. अवसर लागत की अवधारणा बताइये।
अथवा, अवसर लागत है?
Ans. आधुनिक अर्थशास्त्री वास्तविक लागत के स्थान पर अवसर लागत शब्द का प्रयोग करते हैं। कुछ आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने इसे वैकल्पिक लागत (Alternative Cost), आदि नामों सं पुकारा है। किसी वस्तु को प्राप्त करने अथवा उत्पन्न करने के लिए जिस दूसरी वस्तु या वस्तुओं का त्याग करना पड़ता है वह त्याग ही प्राप्त की गई वस्तु की अवसर लागत कहलाती है। गन्ने के उत्पादन के लिए जितने गेहूँ का बलिदान किया जायेगा वही गन्ने की अवसर लागत (Opportunity Cost) कहलाएगी।
Q.5. सरकारी बजट के उद्देश्यों का वर्णन करें। अथवा, सरकारी बजट के किन्हीं दो उद्देश्यों को लिखें।
Ans. बजट द्वारा प्राप्त किए जाने वाले महत्त्वपूर्ण उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
1. संसाधनों का पुनः आवंटन: यदि बाजार संसाधनों के पुन: आवंटन में विफल हो जा तो सरकार यह काम अपने हाथ में लेकर सामाजिक संसाधनों को बृहत्तर सामाजिक-आर्थिक हि के अनुरूप पुनः आबंटित करने का प्रयास करती है।
2. आय संपत्ति का पुनः वितरण: सरकार सार्वजनिक आय और संपत्ति के पुनः वितरण द्वारा समाज में व्याप्त विषमताओं को कम करने का प्रयास करती है। इस काम के लिए सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था, सार्वजनिक निर्माण आदि पर पैसा व्यय किया जाता है।
3. आर्थिक स्थिरता : सरकार व्यावसायिक जगत के उतार-चढ़ावों को रोकने तथा उच्च रोजगार व आय स्तर पर अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के उद्देश्य से भी कार्य करती है।
4. सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंध : सरकार सार्वजनिक उद्यमों के माध्यम से भारी विनिर्माण और कई अनेक प्रकार की प्राकृतिक एकाधिकारी व्यापारिक गतिविधियों के संचालन का दायित्व भी वहन करती है।
Q.6. सीमान्त उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता में अन्तर कीजिए। अथवा, सीमान्त उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता के बीच क्या सम्बन्ध है?
Ans. एक इकाई अधिक उपभोग करने से कुल उपयोगिता में हुई वृद्धि सीमान्त उपयोगिता कहलाती है। सीमान्त उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता में घनिष्ठ सम्बन्ध है। जैसे-जैसे किसी वस्तु की उत्तरोत्तर इकाइयों का उपभोग किया जाता है, वैसे-वैसे उससे प्राप्त सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है तथा कुल उपयोगिता में वृद्धि होती जाती है। कुल उपयोगिता की वह वृद्धि तबतक कायम रहती है जबतक सीमान्त उपयोगिता शून्य न हो जाय। जब सीमान्त उपयोगिता शून्य होती है त कुल उपयोगिता अधिकतम होती है। शून्य होने के बाद सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होने लगती है जिसके कारण कुल उपयोगिता भी घटने लगती है।
Q.7 पूर्ण प्रतियोगिता और एकाधिकार में अंतर बताइये ।
अथवा, पूर्ण प्रतियोगिता और एकाधिकार प्रतियोगिता में दो अंतर लिखिए।
Ans. पूर्ण प्रतियोगिता और एकाधिकार में निम्नांकित भेद पाया जाता है।
1. विक्रेताओं की संख्या : पूर्ण प्रतियोगिता में विक्रेताओं की संख्या बहुत होती है जबकि एकाधिकार में वस्तु का विक्रेता केवल एक व्यक्ति या संस्था होती है।
2. माँग वक्र : पूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु की माँग अनन्त लोच वाली होती है जिसके कारण माँग वक्र (AR) X-अक्षांश के समानान्तर एक सीधी रेखा के रूप में होता है। एकाधिकार में वस्तु की माँग कम लोचदार होती है, इसलिए माँग वक्र (AR) नीचे दाईं ओर ढालू होता है।
3. फर्म कीमत निर्धारक या कीमत स्वीकारक : पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म कीमत को ग्रहण करने वाली होती है जबकि एकाधिकार में फर्म कीमत का निर्धारण करने वाली होती है।
4. वस्तु की प्रकृति : पूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु मानकीकृत (Standardised) तथा एकरूप होती है। एकाधिकार में वस्तु का कोई निकटतम प्रतिस्थापन नहीं होता।
Q.8. राजकोषीय घाटे से क्या अभिप्राय है?
Ans. राजकोषीय घाटा कुल व्यय का कुल राजस्व प्राप्तियों एवम् पूँजी प्राप्तियों जिसमें ऋण प्राप्तियाँ शामिल नहीं हैं, के आधिक्य के समान है। संक्षेप में
राजकोषीय घाटा – कुल बजटीय व्यय – (राजस्व प्राप्तियाँ + पूँजी प्राप्तियाँ जिसमें ऋण शामिल + नहीं हैं।)
जैसे-2002-2003 के केन्द्र सरकार के बजट अनुमान में कुल बजट व्यय 4130309 करोड़ था, राजस्व प्राप्तियाँ 245105 करोड़ थीं तथा पूँजी प्राप्तियाँ (ऋणों के अतिरिक्त) 29680 करोड़ थीं। अतः राजकोषीय घाटा 135524 करोड़ रुपये था।
Q.9. स्थिर लागत एवं परिवर्तनशील लागत में क्या अन्तर है?
अथवा, स्थिर लागत एवं परिवर्तनशील लागत में दो अंतर बताइए।
Ans. स्थिर लागत एवं परिवर्तनशील लागत में निम्नलिखित अन्तर हैं
(1) स्थिर लागत का सम्बन्ध उत्पादन के स्थिर साधनों से है जबकि परिवर्तनशील लागत का सम्बन्ध उत्पादन के परिवर्तनशील साधनों से होता है।
(2) स्थिर लागत उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन से नहीं बदलती है जबकि परिवर्तनशील लागत उत्पादन की मात्रा के परिवर्तन से बदलती है।
(3) उत्पादन स्तर के शून्य स्तर पर भी स्थिर लागत अपरिवर्तित रहती है जबकि शून्य उत्पादन पर परिवर्तनशील लागत शून्य हो जाती है।
Q.10. मांग की लोच के विभिन्न प्रकारों ( श्रेणियाँ) को समझाइए।
Ans. मांग की लोच की विभिन्न श्रेणियाँ (प्रकार) निम्नलिखित हैं
(1) पूर्णतः लोचदार मांग- जब मूल्य में अल्प कमी होने पर मांग में अनन्त वृद्धि हो जाए तथा मूल्य में अल्पवृद्धि होने पर भी मांग घटकर शून्य हो जाए तो मांग पूर्णतः लोचदार होती है।
(2) समलोचदार मांग- जिस अनुपात में मूल्य में परिवर्तन हो उसी अनुपात में मांग में भी परिवर्तन हो तो इसे समलोचदार मांग कहते हैं।
(3) सापेक्षिक लोचदार मांग- मूल्य से अधिक अनुपात में मांग में परिवर्तन हो तो मांग की लोच सापेक्षिक लोचदार होगी।
(4) सापेक्षिक बेलोचदार मांग- मूल्य में परिवर्तन कम अनुपात में मांग में परिवर्तन हो तो मांग की लोच सापेक्षिक बेलोचदार होगी।
(5) पूर्णतः लोचदार मांग- मूल्य में कमी अथवा वृद्धि का मांग पर कोई प्रभाव न पड़े तो मांग की लोच पूर्णत: बेलोचदार होगी।
All Study Material of Class 12th Economics (अर्थशाश्त्र )
Here, In this post, We are going to cover All the chapters of class 12 Economics. Here we will discuss all the questions of Economics whether it is objective paper subjective one by one in hindi.
S.N | Economics New Batch 2022 |
A | व्यष्टि अर्थशाश्त्र |
1 | Chapter 1 |
2 | Chapter 2 |
3 | Chapter 3 |
4 | Chapter 4 |
5 | Chapter 5 |
B | समष्टि अर्थशाश्त्र |
1 | Chapter 1 |
2 | Chapter 2 |
3 | Chapter 3 |
4 | Chapter 4 |
5 | Chapter 5 |
Bihar Board Class 12th Economics
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