Bihar Board 12th 2022 Economics Question Answer PDF Download

Bihar Board 12th 2022 Economics Question Answer PDF Download

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर किन्ही 10 प्रश्नों के उत्तर दें।

अति महत्वपूर्ण मॉडल सेट – 7

Q.1. सरकार के बजट से आप क्या समझते हैं ?

Ans. सरकार का बजट सरकार की प्रस्तावित वार्षिक प्राप्तियों और व्ययों का वित्तीय विवरण है जो वर्ष आरंभ होने से पूर्व तैयार किया जाता है। भारत में वित्त वर्ष । अप्रैल से शुरू होकर अगले वर्ष 31 मार्च तक होता है। भारत की अर्थव्यवस्था में सरकारी बजट का काफी महत्व है।

भारतीय संविधान के अनुसार, बजट का अभिप्राय एक वार्षिक वित्तीय विवरण से है जिसमें सरकार का, आने वाले वर्ष के लिए, अनुमानित सार्वजनिक राजस्व और व्ययों का ब्यौरा होता है।

 

Q.2. व्यापार-शेष का अर्थ बताइए। इसे कौन से तत्त्व प्रभावित करते हैं?

Ans. व्यापार शेष भुगतान-शेष का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। व्यापार-शेष से अभिप्राय दृश्यों मदों (वस्तुओं) के निर्यात और आयात मूल्यों के अंतर से है। अतः व्यापार शेष में सभी प्रकार के दृश्य पदार्थों के आयात तथा निर्यात में होने वाले भुगतानों को दर्शाया जाता है तथा शेष निकाला जाता है।

किसी भी देश की आयात राशि और निर्यात राशि, शायद ही कभी समान हो, अधिकांश समय व्यापार शेष, संतुलित नहीं होता है। यदि किसी देश के निर्यात, आयात से अधिक होते हैं, तो व्यापार शेष में आधिक्य होता है। दूसरी ओर यदि निर्यात से आयात अधिक होते हैं तो व्यापार शेष में घाटा होता है। सारणी द्वारा पता चलता है कि व्यापार शेष में 700 करोड़ रुपये का घाटा है। सामान्यतः व्यापार शेष में घाटे को अच्छा नहीं समझा जाता क्योंकि इससे भुगतान संबंधित समस्याएँ पैदा होती है। परन्तु व्यापार शेष केवल दृश्य वस्तुओं के व्यापार से संबंधित होता है और इस अन्य माँ से प्राप्त होने वाली राशि नहीं होती है। अतः यह कुल प्राप्त होने राशिको सही तस्वीर पेश नहीं करता है। हो सकता है व्यापार शेष के ऋणात्मक हो जाने के बावजूद भी भुगतान शेष को स्थिति संतोषजनक हो। व्यापार शेष, भुगतान का केवल एक कारक है।

 

Q.3. पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य निर्धारण कौन करता है?

Ans. पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत वस्तु का मूल्य नतो उत्पादन लागत अर्थात् पूर्ति द्वारा ही निर्धारित होता है और न सीमान्त उपयोगिता अर्थात माँग व पूर्ति दोनों द्वारा ही निर्धारित होता. है। उत्पादन लागत वस्तु की पूर्ति को निश्चित करती है जो कि विक्रेता की ओर से वस्तु के मूल्य के की न्यूनतम सीमा होती है अर्थात् कोई भी उत्पादक वस्तु का कम से कम उतना मूल्य अवश्य गाजितनी कि उस वस्तु के निर्माण में लागत आती है।

 

Q.4. प्रथम नरसिम्हम समिति की किन्हीं दो सिफारिशों को लिखें।

Ans. प्रथम नरसिम्हम् समिति की निम्नलिखित दो सिफारिशें महत्वपूर्ण हैं :

(i) सरकारी कर्ज पर ब्याज दरें बाजार से सम्बन्धित होनी चाहिए, जिससे ऐसी स्थिति में खुले बाजार के कार्यकलाप किये जा सकें।

(ii) पूँजी पर्याप्तता मापदण्ड, आय की पहचान के लिए विवेकसम्मत मानदण्ड, आस्थियाँ वर्गीकरण और अशोध्य ऋणों के लिए व्यवस्था शामिल है।

 

Q. 5. लगान क्या है? लगान की परिभाषा दीजिए।

Ans. साधारण बोलचाल में तो मकान मालिक या दुकान मालिक को अपने मकान अथवा दुकान का जो किराया मिलता है उसे लगान के नाम से पुकारते हैं। मकान मालिक मकान में रहनेवाले से वह समस्त धन (किराया) भूमि के प्रयोग के कारण ही वसूल नहीं करता, वरन् इस किराये में भू-स्वामी की भूमि के प्रयोग का प्रतिफल, मकान बनाने में जो पूंजी लगी है उसका जोखिम का प्रतिफल तथा स्थान की उचितता का प्रतिफल आदि भी सम्मिलित होता है। इस किराये का वह भाग जो भू-स्वामी को उसकी भूमि के उपयोग के बदले में दिया जाता है शुद्ध लगान या आर्थिक लगान (Economic Rent) कहलाता है। इसे हम यो भी कह सकते हैं कि राष्ट्रीय आय का वह भग जो भूस्वामी को मिलता है, लगान कहा जाता है।

मार्शल ने लिखा है, “भूमि के स्वामित्व से प्राप्त आय तथा प्रकृति के अन्य उपहारों को लगानको संज्ञा दी जाती है।”

प्रो कारवर की राय में, “लगान एक सापेक्षिक लाभ है जो भूमि या अन्य प्राकृतिक देन के स्वामी सीमान्त भूमि या प्रकृति को देन) की अपेक्षा अधिक उपजाऊ या अधिक लाभप्रद स्थिति के कारण मिलता है। “

 

6. मौद्रिक नीति का क्या अर्थ है? अथवा, मौद्रिक नीति क्या है?

Ans. मौद्रिक नीति का मतलब एक ऐसी नीति से लगाया जाता है जिसके द्वारा मुद्रा के मूल्य में स्थिरता रखी जा सके। स्वर्णमान के पतन या विनाश के बाद मौद्रिक नीति का महत्त्व काफी बढ़ गया है क्योंकि मुद्रा के मूल्य में हमेशा परिवर्तन होता रहता है जिसका प्रभाव आर्थिक पर पड़ता है अत: यह आवश्यक है कि मौद्रिक नीति का निर्माण किया जाए ताकि मुद्रा श्री मूल्य में स्थिरता बनी रहे। वर्तमान युग में मौद्रिक नीति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति को रोकने में काफी योगदान देता है।

 

Q.7. व्यापक अर्थशास्त्र के महत्त्व पर प्रकाश डालिये। अथवा, समष्टि अर्थशास्त्र के किन्हीं दो महत्व को बताएँ।

Ans. यह निर्विवाद है कि आज के युग में व्यापक आर्थिक विश्लेषण का महत्व निरन्तर बढ़ता जा रहा है।

1. व्यापक आर्थिक विश्लेषण से एक जटिल अर्थव्यवस्था की जानकारी में सहायता मिलती है : इसका कारण यह है कि व्यक्तिगत रूप से बहुत जटिल आर्थिक प्रणाली का विवरण प्राय: असम्भव है।

2. व्यापक आर्थिक विश्लेषण से उचित आर्थिक नीतियों के निर्धारण में भी सहायता मिलती है : बोल्डिंग (Boulding) का इस संबंध में यह कथन है कि आर्थिक नीति की दृष्टि से व्यापक आर्थिक विश्लेषण का अत्यधिक महत्त्व है, क्योंकि सरकार की आर्थिक नीति किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं होकर व्यक्तियों के एक समूह अथवा सम्पूर्ण समुदाय के लिए होती है। इसी प्रकार सरकार किसी फर्म का मूल्य अथवा उत्पादन का नियन्त्रण नहीं करती वरन् यह सामान्य मूल्य तल तथा व्यापार के सामान्य आधार को प्रभावित करने का प्रयास करती है।

 

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Q.8. वस्तु की पूर्त्ति को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों को बताएँ।

Ans. वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित दो कारक हैं –

(i) वस्तु की कीमत-किसी वस्तु की पूर्ति तथा कीमत में प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है। सामान्यतः किसी वस्तु की कीमत बढ़ने से पूर्ति बढ़ा है तथा कीमत कम होने से पूर्ति कम होती है।

(ii) फर्मों की संख्या किसी वस्तु को बाजार पूर्ति फर्मों की संख्या पर भी निर्भर करती है।

फर्मों की संख्या अधिक होने पर पूर्ति अधिक होती है। इसके विपरीत फर्मों की संख्या कम पर पूर्ति कम हो जाती है।

 

Q.9. सामूहिक (या समग्र) पूर्ति से क्या अभिप्राय है?

Ans. किसी वस्तु की पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उन मात्राओं से है जिन्हें एक विक्रेता विभिन्न सम्भव कीमतों पर निश्चित समय में बेचने के लिए तैयार होता है। सामूहिक पूर्ति से अभिप्राय है कि किसी वस्तु की बाजार में उन सभी फर्मों द्वारा की गई पूर्ति जो उस वस्तु का

उत्पादन या बिक्री करती है।

 

Q.10. अतिरेक माँग उत्पन्न होने के दो महत्वपूर्ण कारणों को लिखें।

Ans. अतिरेक माँग वह स्थिति है जिसमें कुल माँग अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार स्तर के अनुरूप कुल पूर्ति से अधिक होती है। अतिरंक माँग उत्पन्न होने के निम्नलिखित कारण हैं अर्थव्यवस्था में आयोजित कुल माँग का स्तर पूर्ण रोजगार के लिए आवश्यक कुल माँग के स्तर से अधिक हो जाता है। इसका कारण यह है कि साधनों का पहले से ही पूरा उपयोग हो रहा होता है। अतिरेक माँग की स्थिति में कुल माँग का स्तर कुल पूर्ति के स्तर से अधिक हो जाता है।

 

All Study Material of  Class 12th Economics (अर्थशाश्त्र )

Here, In this post, We are going to cover All the chapters of class 12 Economics. Here we will discuss all the questions of Economics whether it is objective paper subjective one by one in hindi.

 S.N Economics New Batch 2022
A व्यष्टि अर्थशाश्त्र
1 Chapter 1
2 Chapter 2
3 Chapter 3
4 Chapter 4
5 Chapter 5
 B समष्टि अर्थशाश्त्र
 1 Chapter 1
 2 Chapter 2
 3 Chapter 3
4 Chapter 4
 5 Chapter 5

Bihar Board Class 12th Economics

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