12th Political Science Subjective Question Answer PDF Bihar Board : Short & Long Questions

12th Political Science Subjective Question Answer PDF

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर किन्हीं 10 प्रश्नों के उत्तर दें।

अति महत्त्वपूर्ण मॉडल सेट – 10

Q.1. पंचवर्षीय योजना क्या है?

Ans. 1952 में भारत में देश के आर्थिक विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएं शुरू की गई। किसी योजना में कृषि के विकास को प्राथमिकता दी गई तो किसी में उद्योगों के विकाय को। भारत में 12 पंचवर्षीय योजनाएं बनाई गई। किसी भी देश का सामाजिक-आर्थिक समानता और लोकतंत्र बिना राजनीतिक लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत पंचवर्षीय योजनाओं से भारत के सामाजिक आर्थिक विकास को बहुत बल मिला है।

 

Q.2. योजनावकाश क्या है?

Ans. जब किन्हीं कारणों से पंचवर्षीय योजना अपने निर्धारित वर्ष से प्रारंभ नहीं हो पाती, तो उस वर्ष के लिए वार्षिक योजना बनाई जाती है। इसी स्थिति को योजनावकाश कहते हैं।

 

Q.3. एक प्रभुत्वशाली दल व्यवस्था क्या है?

Ans. एक प्रभुत्व दलीय व्यवस्था उसे कहते है जिस राजनीतिक क्षेत्र में बहुत से राजनीतिक दल तो हों परंतु राजनीतिक सत्ता एक ही प्रभावशाली दल के हाथों में हो और वह बहुत समय से शासन चलाता आता हो, अन्य दलों को आम चुनावों में विशेष सफलता प्राप्त न होती हो और विपक्षी दल सुसंगठित तथा प्रभावशाली न हों। ऐसी व्यवस्था में प्रभुत्व दल को विधानमंडल में इतना अधिक बहुमत मिलता है कि अन्य दलों का महत्व न के बराबर होता है और कई बार तो उनमें से किसी दल को विपक्ष के रूप में मान्यता भी नहीं मिल पाती। ऐसी स्थिति में प्रभुत्व दल का कुछ अंश तक मनमानी करना स्वाभाविक होता है। 1977 तक कांग्रेस भारत में एकल प्रभुत्व वाला दल. था।

 

Q.4. कांग्रेस-विरोधावाद क्या है ?

Ans. गैर-कांग्रेसवाद या कांग्रेस विरोधावाद वह स्थिति थी जो विभिन्न विरोधी राजनीतिक दलों ने कांग्रेस के खिलाफ उत्पन्न की तथा इस बात के लिए वातावरण बनाने का प्रयास किया कि कांग्रेस के प्रभुत्व को कम किया जाये। विरोधी दलों ने विभिन्न राज्यों में बढ़ती महंगाई के खिलाफ हड़ताल, धरने व विरोध प्रदर्शन किये गैर-कांग्रेसवाद या कांग्रेस विरोधावाद के विकास का उद्देश्य यह भी था कि कांग्रेस के खिलाफ पड़ने वाले वोटों को विभाजित होने से रोका जाये क्योंकि गैर-कांग्रेसी वोट विभिन्न विरोधी दलों के उम्मीदवारों में ना बढ़ पाये जिससे कांग्रेस के उम्मीदवारों को इसका फायदा ना मिले।

1967 के आम चुनाव में यही हुआ कि गैर-कांग्रेसी वोट विभिन्न उम्मीदवारों में बंट जाने के बजाय एक ही उम्मीदवार को मिली जिससे कांग्रेस की सीटों व मतों के प्रतिशत में भी गिरावट आ गई। इस चुनाव में कांग्रेस को 9 राज्यों में सरकारें खोनी पड़ी व केन्द्र में भी कांग्रेस को ‘केवल साधारण बहुमत ही प्राप्त हुआ।

 

Q.5. राजनीतिक दल बदल क्या है ?

Ans. जब कोई सांसद या विधायक अपनी पार्टी छोड़कर किसी अन्य दल में शामिल हो जाता है या अपनी अलग पार्टी बना लेता है तथा उसके ऐसे काम से कोई सरकार बनती या गिर जाती है तो उसे राजनीतिक दल-बदल का कृत्य समझा जाता है।

 

Q.6 प्रतिबद्ध नौकरशाही से आप क्या समझते हैं ?

Ans. प्रतिबद्ध नौकरशाही का दृष्टिकोण नौकरशाही के परम्परागत दृष्टिकोण ‘तटस्थता’ से जुड़ा हुआ है। भारत में लोकसेवा का परम्परागत गुण तटस्थता है। तटस्थता एवं निष्पक्षता ब्रिटिश लोकसेवा की प्रमुख विशेषता रही है। इसके अन्तर्गत तीन बातें शामिल हैं-प्रथम, जनता को विश्वास होना चाहिए कि लोकसेवा सभी प्रकार की राजनीतिक पक्षपात एवं दबाव से मुक्त है। द्वितीय, मंत्रियों को यह विश्वास होना चाहिए कि सत्ता में चाहे जो दल आये, लोकसेवा की उन्हें निष्ठा प्राप्त रहेगी। तृतीय, लोकसेवाओं के नैतिक साहस का आधार यह मान्यता है कि पदोन्नति या अन्य पुरस्कार राजनीतिक मान्यताओं या पक्षपातपूर्ण कार्यों पर नहीं निर्भर करते बल्कि योग्यता एवं कुशलता पर निर्भर करते हैं।

ब्रिटेन में नौकरशाही की तटस्थता से अभिप्राय है कि राजनीति का कार्य नीतियों का निर्धारण होता है और प्रशासन का कार्य उन नीतियों के कार्यान्वयन का होता है। सरकारें बदलती रहती हैं, परन्तु प्रशासनिक अधिकारी स्थायी होते हैं और जो भी दल सत्ता में आता है, उसके द्वारा निर्धारित नीतियों का क्रियान्वयन करते हैं। सोवियत राजनेता उस समय आश्चर्य चकित रह गये जब उन्होंने ब्रिटेन में यह देखा कि मजदूर मंत्रिमंडल के साथ भी वही प्रशासनिक टीम थी जो चर्चिल और उनके साथियों को सलाह देते थे। नौकरशाही की ‘प्रतिबद्धता’ से दो अर्थ लिये जा सकते हैं, प्रथम, नीतियों और संवैधानिक आदशों के प्रति प्रतिबद्धता और द्वितीय, राजनीतिक दल एवं राजनेता के प्रति प्रतिबद्धता। सभी प्रशासक यह चाहेंगे कि कार्यकुशलता, दक्षता, परिणाम प्राप्ति या उत्पादन, आदि क्षेत्रों में वे सम्पूर्ण निष्ठा के साथ प्रतिबद्ध हों। लोकसेवक सरकार की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक नीतियों के सम्बन्ध में अपने निष्पक्ष विचार रखें और जब नीतियों का निर्माण हो जाये तो निष्ठा के साथ भावात्मक रूप से जुड़ जायें।

 

Q.7. 1954 में हुए भारत-चीन संधि की विशेषता बताइए।

Ans. चीन के साथ भारत के पुराने ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। भारत की आजादी के बाद से भी भारत व चीन के अच्छे संबंध रहे हैं। दोनों देशों में सांस्कृतिक, कृषि व व्यापार के क्षेत्रों में आदान-प्रदान होता रहा है। चीन में साम्यवादी दल की सरकार 1949 में अस्तित्व में आयी। भारत सबसे पहला देश था जिसने उसे मान्यता दी।

पंडित जवाह नेहरू को भारत की विदेश नीति का निर्माता कहना न्यायोचित है क्योंकि वे देश के प्रथम प्रधानमंत्री ही नहीं थे बल्कि भारत के प्रथम विदेशमंत्री भी थे, कांग्रेस के प्रमुख नेता थे व चमत्कारिक व्यक्तित्व के धनी थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू को अन्तर्राष्ट्रीय विषयों की अच्छी समझ थी। चीन व भारत के आपसी संबंधों को सुदृढ़ आधार देने के लिए उन्होंने 1954 में चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ पंचशील का समझौता किया। पंचशील का समझौता न केवल भारत व चीन के बीच संबंधों का आधार था बल्कि विश्व के देशों में आपसी संबंधों को मजबूत आधार देने के लिए एक मजबूत सेतु था।

 

Q.8. दल-बदल विरोधी कानून के मुख्य बिन्दु क्या हैं ?

Ans. 1985 के दलबदल विरोधी कानून के बाद भी दलबदल की कुरीति पर पूरी तरह अंकुश नहीं लगा। अतः सन् 2003 में इसे रोकने के और कदम उठाए गए। सन् 2003 में संसद ने 91वां संविधान संशोधन कानून पास किया जो प्रथम मई 2004 से लागू हुआ।

इसमें निम्नलिखित प्रावधान किए गए

1. किसी भी सांसद या विधायक को दल बदलने पर मंत्री के पद या किसी अन्य लाभ के पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है। इससे मंत्री के पद की प्राप्ति के कारण दल-बदल पर रोक लगी।

2. यह भी व्यवस्था की गई कि मंत्रिमंडल का आकार लोकसभा या संबंधित विधान सभा की सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। इसके द्वारा पूरे दल के द्वारा दलबदली या निष्ठा बदली पर रोक लगी। पहले पूरे दल द्वारा निष्ठा परिवर्तन की घटनाएँ हो चुकी थीं और इसके कारण बड़े-बड़े आकार वाले मंत्रिमंडल (Jumbo Cabinat) बनाए गए थे जिनसे राज्य की आर्थिक स्थिति तथा प्रशासन पर बुरा प्रभाव पड़ता था।

 

Q.9. भारत-पाक सम्बन्ध पर एक टिप्पणी लिखें।

Ans. भारत-पाक सम्बन्ध तनावपूर्ण है। 1947 के बाद से ही दोनों राष्ट्रों के बीच लगातार तनावपूर्ण सम्बन्ध रहे हैं। 1947 से 2020 तक दोनों देशों के बीच चार युद्ध हो चुके हैं। इस तनावपूर्ण सम्बन्ध के निम्न कारण हैं-

(i) सीमा विवाद

(ii) काश्मीर की समस्या

(iii) उग्रवादियों का भारत में प्रवेश व हिंसात्मक कार्यवाही करना

(iv) भारत में पाकिस्तानी उग्रवादियों का हस्तक्षेप

(v) परमाणु परीक्षण

(vi) पाकिस्तान के द्वारा जरूरत से ज्यादा सैनिक सामग्री इकट्ठा करना

(vii) भारत का विश्व शक्ति के रूप में उभरना

(viii) काश्मीर के प्रश्न का अन्तर्राष्ट्रीयकरण पर नियंत्र

(ix) सीमा क्षेत्र में हस्तक्षेप करना तथा

(x) कारगिल घटना।

(xi) कश्मीर से धारा 370 हटान

 

Q.10. सोवियत संघ का विघटन क्यों हुआ?

Ans. सोवियत संघ के विघटन के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे : गिरती अर्थव्यवस्था दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ जब विश्व की राजनीति में एक महाशक्ति के रूप में उभरकर आया तो इसकी अर्थव्यवस्था बड़ी मजबूत थी। अर्थव्यवस्था पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होने के कारण उसका विकास नहीं हो सका और उसमे गिरावट आती चली गई। उत्पादन और वितरण पर पूर्ण सरकारी नियंत्रण होने के कारण उत्पादन में सुधार नहीं और उसकी मात्रा भी बढ़ती हुई खपत के अनुसार नहीं बढ़ी।

पश्चिमी लोगों की उन्नति, उनके रहन-सहन में प्रगति और उनके सामाजिक आर्थिक सुधार को सोवियत संघ के लोगों ने देखा और महसूस किया तो अपनी आर्थिक व्यवस्था और शासन व्यवस्था से उनका मोह भंग होने लगा।

साम्यवादी दल की तानाशाही शासन- रूस में साम्यवादी दल की तानाशाही शासन व्यवस्था लागू हुई थी। आरम्भ में तो साम्यवादी दल के नेताओं ने लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं की ओर ध्यान दिया परंतु बाद में ये नेता अपने दलीय स्वार्थों, तथा निजी हितों को पूर्ति में लीन हो गए। इससे शासन व्यवस्था अवरूद्ध हो गई और प्रशासन में भ्रष्टाचार फैलने लगा।

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Political Science all chapters Important question

भाग – A  समकालीन विश्व की राजनीति
1 शीत युद्ध का दौर
2 दो ध्रुवीयता का अंत
3 समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व 
4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र
5 समकालीन दक्षिण एशिया 
6 अंतर्राष्ट्रीय संगठन 
7 समकालीन विश्व में सुरक्षा 
8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन 
9 वैश्विकरण
भाग – B स्वतंत्रता के समय से भारतीय राजनीति
 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियां
 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर
 3 नियोजित विकास की राजनीति 
 4 भारत के विदेश संबंध 
 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना
 6 लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट
7 जन आंदोलनो का उदय
 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएं
 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव
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