12th Economics Short And Long Question Answer Bihar Board PDF Download

12th Economics Short And Long Question Answer

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर किन्ही 10 प्रश्नों के उत्तर दें।

अति महत्वपूर्ण मॉडल सेट – 2

 

Q.1. एक फर्म के साम्य से क्या समझते हैं? फर्म के संतुलन की आवश्यक शर्तों को बताएँ।
अथवा, फर्म के साम्य की आवश्यक दशाएँ स्पष्ट कीजिए।

Ans. फर्म के लिए संतुलन तब प्राप्त होता है जब वह अधिकतम संभव लाभ की स्थिति में पहुँच जाती है। एक फर्म संतुलन की स्थिति में तब कही जायेगी जब उसके उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन की कोई प्रवृत्ति नहीं हो।
संतुलन के लिए आवश्यक शर्ते :
(i) MC = MR तथा
(ii) MC वक्र MR वक्र को नीचे से काटता हो ।
चूँकि फर्म का उद्देश्य अधिकतम मुनाफा कमाना होता है। उस शर्त को पूरा करने पर ही फर्म को अधिकतम मुनाफा प्राप्त हो सकेगा।

 

Q.2. स्टॉक और प्रवाह में भेद स्पष्ट कीजिए। निवल निवेश और पूँजी में कौन स्टॉक है और कौन प्रवाह ? हौज में पानी के प्रवाह से निबल निवेश और पूँजी की तुलना कीजिए। अथवा, स्टॉक तथा प्रवाह में भेद के दो उदाहरण दीजिए।
Ans. स्टॉक : वह आर्थिक चर जिसे एक निश्चित समय विन्दु पर मापा जाता है स्टॉक कहलाता है।
प्रवाह : आर्थिक चर जिसे एक निश्चित समयावधि में मापा जाता है, उसे प्रवाह कहते हैं शुद्ध निवेश आर्थिक प्रवाह का उदाहरण है। पूँजी स्टॉक का उदाहरण है।

 

Q.3. कुल लागत, सीमांत लागत और औसत लागत की अवधारणा का उल्लेख करें।
Ans. कुल लागतें (Total Costs) : ये लागतें कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्तनशील लागत का जोड़ होती हैं। समीकरण में –
कुल लागत = कुल परिवर्ती लागत + कुल स्थिर लागत

औसत लागत (Average Cost) : प्रति इकाई कुल उत्पादन लागत को औसत लागत कहते हैं। औसत लागत की सहायता से फर्म के लाभ/हानि की जानकारी होती है। औसत लागत की गणना करने के लिए कुल लागत को मात्रा से विभाजित करते हैं।

औसत लागत = कुल लागत / उत्पादन की मात्रा

सीमान्त लागत (Marginal Cost) : सीमान्त लागत अतिरिक्त इकाई की उत्पादन लागत होती है। सरल शब्दों में उत्पादन की एक और इकाई का उत्पादन करने के लिए कुल लागत में जो वृद्धि होती है, उसे सीमान्त लागत कहते हैं।

सीमान्त लागत = कुल लागत में परिवर्तन / निर्गत में परिवर्तन

 

Q.4. राष्ट्रीय आय और घरेलू आय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

Ans. राष्ट्रीय आय किसी देश के निवासियों का एक वर्ष प्राप्त देशी और विदेशी आय का योग है। घरेलू आय परिवार में रहनेवाले सभी लोगों की आय का सूचक है, जो राष्ट्रीय आय के निर्धारण में आर्थिक सूचकांक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

 

Q.5. पूर्ति लोच को प्रभावित करने वाले घटकों का उल्लेख करें।
Ans. पूर्ति की लोच से अभिप्राय कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप पूर्ति के मात्रा में होनेवाली परिवर्तन से है। इसे निम्न घटक प्रभावित करते हैं-
1. वस्तु की प्रकृति
2. उत्पादन लागत,
3. समय तत्व,
4. उत्पादन की तकनीक,
5. प्राकृतिक कारण तथा
6. भावी कीमतों में परिवर्तना

 

Q.6. बाजार के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
Ans. बाजार तीन प्रकार के होते हैं
1. स्थानीय बाजार

2. समयानुसार बाजार

3. कार्यानुसार बाजार स्थानीय बाजार प्रांतीय, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय होते हैं। समय के अनुसार बाजार पूर्ण प्रतियोगी अपूर्ण प्रतियोगी तथा एकाधिकारी होते हैं। कुछ बाजार दैनिक तथा अल्पकालीन प्रकृति के होते हैं। कार्य के अनुसार बाजार मिश्रित या विशेष प्रकार के होते हैं।

 

Q.7. अल्पकाल में किसी फर्म का पूर्ति वक्र क्या है?
Ans. अल्पकाल में एक फर्म का अल्पकालीन पूर्ति वक्र न्यूनतम औसत परिवर्ती लागत से ऊपर अल्पकालीन कीमत वक्र का बढ़ता हुआ भाग होता है तथा न्यूनतम औसत परिवर्ती लागत (Ave) से कम सभी कीमतों पर निर्गत शून्य होता है।

 

Q.8. राजस्व व्यय एवं पूँजीगत व्यय में क्या अन्तर है?
Ans. सरकारी व्यय का वह भाग जिससे भौतिक अथवा वित्तीय परिसंपत्तियों का निर्माण नहीं होता है राजस्व व्यय कहलाता है। इसके विपरीत सरकारी व्यय का वह भाग जिससे भौतिक अथवा वित्तीय परिसंपत्तियों का निर्माण होता है, पूंजीगत व्यय कहलाते हैं। सरकारी विभागों में सामान्य संचालन के लिए राजस्व किए जाते हैं इसके अलावा ऋणों पर ब्याज भुगतान, राज्य सरकारों एवं अन्य संस्थाओं को दी जाने वाली आर्थिक सहायता भी राजस्व व्यय कहलाते हैं।

 

Q.9. अवस्कीतिक अन्तराल की अवधारणा को समझाइए।
Ans. स्फीति की विपरीत स्थिति है अवस्फीति। यह विस्फीति से भिन्न है। यह वह स्थिति जब उत्पादन तथा रोजगार घटने के साथ-साथ कीमतें गिरती हैं। अवस्फीति अन्तराल ऐसी स्थिति है जिसमें समस्त माँग या व्यय पूर्ण रोजगार स्तर पर समस्त पूर्ति (राष्ट्रीय आय) से कम होती हैं। इस प्रकार यह पूर्ण रोजगार स्तर पर समस्त पूर्ति व समस्त माँग अंतर को व्यक्त करता है।

 

Q.10. माँग के विस्तार एवं माँग में वृद्धि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
Ans. वस्तु की कम कीमत पर वस्तु की अधिक माँग को माँग का विस्तार कहते हैं। इस स्थिति में माँग वक्र का संचलन उपर से नीचे की ओर होता है। इसमें माँग वक्र नहीं बदलता। माँग में वृद्धि का अर्थ है, वस्तु की उसी कीमत पर अधिक माँग अथवा उँची कीमत पर वस्तु की उतनी ही माँग। इसमें माँग वक्र दायें से उपर की ओर स्थांतरित होता है। इसमें माँग वक्र बदल जाता है।

All Study Material of  Class 12th Economics (अर्थशाश्त्र )

Here, In this post, We are going to cover All the chapters of class 12 Economics. Here we will discuss all the questions of Economics whether it is objective paper subjective one by one in hindi.

 S.N Economics New Batch 2022
A व्यष्टि अर्थशाश्त्र
1 Chapter 1
2 Chapter 2
3 Chapter 3
4 Chapter 4
5 Chapter 5
 B समष्टि अर्थशाश्त्र
 1 Chapter 1
 2 Chapter 2
 3 Chapter 3
4 Chapter 4
 5 Chapter 5

Bihar Board Class 12th Economics

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