Political Science Important Question Answer
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर किन्हीं 10 प्रश्नों के उत्तर दें।
अति महत्त्वपूर्ण मॉडल सेट – 1
Q.1. संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य क्या है?
Ans. संयुक्त राष्ट्र एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जिसकी स्थापना युद्धों को रोकने, आपसी शांति और भाईचारा स्थापित करने तथा जनकल्याण के कार्य करने के लिए की गई है। आजकल संसार के छोटे-बड़े लगभग 192 देश इसके सदस्य हैं। इस संस्था की विधिवत स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 ई. को हुई थी। इस संस्था का मुख्य कार्यालय न्यूयार्क, अमेरिका में है।
उद्देश्य (Aims):
1. अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखना।
2. भिन्न-भिन्न राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना।
3. आपसी सहयोग द्वारा आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा मानवीय ढंग से अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को हल करना।
4. ऊपर दिये गये हितों की पूर्ति के लिए भिन्न-भिन्न राष्ट्रों की कार्यवाही में तालमेल करना।
Q.2. भूमंडलीय तापन या ग्लोबल वार्मिंग क्या है?
Ans. 57% तक ग्लोबल वार्मिंग कार्बन डाइऑक्साइड गैस के कारण होती है। ग्लोबल वार्मिंग में 25% तक की भागीदारी क्लोरोफ्लुओरो कार्बन यौगिकों (CFCs) की है। मेथेन गैस के कारण लगभग 12% तक ग्लोबल वार्मिंग और नाइट्रोजन के ऑक्साइडों के कारण लगभग 6% तक ग्लोबल वार्मिंग होती है। ग्लोबल वार्मिंग, अर्थात् भूमंडल के ताप में वृद्धि की प्रक्रिया यूरोप में औद्योगिक क्रांति के बाद शुरू हुई। वर्तमान में जीवमंडल पूर्व औद्योगिक काल की तुलना में 0.6°C अधिक उष्ण है। ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव: ग्लोबल वार्मिंग के कारण बाढ़, सूखा जैसी गंभीर प्राकृतिक आपदाएँ आएँगी। इससे जीवमंडल की जलवायु प्रभावित होगी। इसका मानव जीवन और मानव जनसंख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। भोजन की कमी एक गंभीर समस्या का रूप धारण कर लेगी, क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग का खाद्यान्न उत्पादन और संपूर्ण कृषि पर अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
Q.3. भारत के लिए ‘विविधता में एकता’ का क्या अर्थ है?
अथवा, “विविधता में एकता’ से आप क्या समझते हैं?
Ans. भारत एक अत्यन्त विशाल देश है। यहाँ लगभग 3000 जातियाँ निवास करती हैं, 179 भाषाएँ बोली जाती हैं और स्थानीय भाषाओं की संख्या लगभग 544 है। यहाँ अनेक धर्मों को मानने वाले लोग निवास करते हैं। विभिन्न धर्मानुयायियों और सम्प्रदाय वालों के आचार-विचार, रहन-सहन, भाषा आदि में अन्तर होने के बाबजूद सभी लोग मिलजुल कर रहते हैं। अतः यह ठीक है कि यहाँ विविधता और भिन्नता के दर्शन होते हैं, परन्तु इसके साथ ही यह भी स्वीकार किया जायेगा कि यहाँ विविधता में ही एकता है।
Q.4. बहुदलीय व्यवस्था से आप क्या समझते हैं? अथवा बहुदलीय व्यवस्था क्या है?
Ans. बहुत से दलों के सहयोग से सरकार चलाना बहुदलीय व्यवस्था है। भारत में कांग्रेस गठबंधन (UPA) बहुदलीय व्यवस्था द्वारा सरकार चला रही थी। बिहार सरकार भी गठबंधन व्यवस्था से सरकार चला रही है। केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी ने भी NDA के अनेक दला के साथ मिलकर सरकार बनायी। वर्तमान में केन्द्र की मोदी सरकार भी बहुदलीय व्यवस्था का एक नमूना है क्योंकि इसमें भी कई दल सम्मिलित हैं।
Q.5. शीत युद्ध क्या है? अथवा, शीत युद्ध पर एक टिप्पणी लिखें।
Ans. दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति से ही शीतयुद्ध की शुरूआत हुई। अगस्त, 1945 में अमरीका ने जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराये और जापान को घुटने टेकने पड़े। इसके बाद दूसरे विश्वयुद्ध का अंत हुआ। अब अमरीका और सोवियत संघ विश्व की सबसे बड़ी शक्ति थे। इनके पास इतनी क्षमता थी कि विश्व की किसी भी घटना को प्रभावित कर सके। अमरीका और सोवियत संघ का महाशक्ति बनने की होड़ में एक-दूसरे के मुकाबले खड़ा होना शीतयुद्ध का कारण बना। शीतयुद्ध शुरू होने के पीछे यह समझ भी काम कर रही थी कि परमाणु बम से होने वाले विध्वंस की मार झेलना किसी भी राष्ट्र के बूते की बात नहीं।
शीतयुद्ध की प्रमुख सैन्य विशेषताओं पर ध्यान दें। इसमें दो महाशक्तियाँ और उनके अपने-अपने गुट थे। इन परस्पर प्रतिद्वंद्वी गुटों में शामिल देशों से अपेक्षा थी कि वे तर्कसंगत और जिम्मेदारी भरा व्यवहार करेंगे। इन देशों को एक विशेष अर्थ में तर्कसंगत और जिम्मेदारी भरा बर्ताव करना था। परस्पर विरोधी गुटों में शामिल देशों को समझना था कि आपसी युद्ध में जोखिम है, क्योंकि संभव है कि इसकी वजह से दो महाशक्तियों के बीच युद्ध ठन जाए। जब दो महाशक्तियों और उनकी अगुआई वाले गुटों के बीच ‘पारस्परिक अवरोध’ का संबंध हो तो युद्ध लड़ना दोनों के लिए विध्वंसक साबित होगा। इस संदर्भ में जिम्मेदारी का मतलब था-संयम से काम लेना और तीसरे विश्वयुद्ध के जोखिम से बचना इस प्रकार शीतयुद्ध ने समूची मनुष्य जाति पर मंडराते खतरे को जैसे-तैसे संभाल लिया।
Q.6. आर्थिक न्याय क्या है ?
Ans. आर्थिक न्याय सामाजिक न्याय का ही एक रूप है। आर्थिक न्याय ही सामाजिक न्याय की आधारशिला है और समाज में रहने वाले लोगों में आर्थिक दृष्टिकोण से समानता ही आर्थिक न्याय कहलाता है। इस न्याय के अनुसार सम्पत्ति का समान और न्यायोचित वितरण समाज और राज्य के सभी व्यक्तियों के बीच होता है। यह न्याय समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जीविका का साधन प्राप्त करने का अधिकार देता है और सबको समान कार्य हेतु समान वेतन देने की व्यवस्था करता है। आज का प्रजातात्रिक युग इसी न्याय पर आधारित है।
Q.7. पंचशील पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
अथवा, पंचशील के सूत्र बतायें। अथवा, पंचशील क्या है?
Ans. पंचशील का अर्थ है ‘पांच सिद्धांत’। ये सिद्धांत हमारी विदेश नीति का मूल आधार हैं। इन पांच सिद्धांतों के लिए ‘पंचशील’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले 29 अप्रैल 1954 को किया गया था। ये ऐसे सिद्धांत हैं कि यदि इन पर विश्व के सब देश चलें तो विश्व में शांति स्थापित हो सकती है। ये पांच सिद्धांत निम्नलिखित हैं।
(1) एक दूसरे की अखण्डता और प्रभुसत्ता को बनाए रखना
(2) एक दूसरे पर आक्रमण न करना
(3) एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना
(4) शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के सिद्धांत को मानना
(5) आपस में समानता और मित्रता को बनाए रखना।
Q.8. साम्प्रदायिकता क्या है?
Ans. भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी इत्यादि अनेक धर्मों के लोग रहते हैं। प्रत्येक धर्म में अनेक संप्रदाय पाए जाते हैं। एक धर्म के लोगों को दूसरे धर्म के लोगों पर विश्वास नहीं है। इसी को संप्रदायिकता कहा जाता है। वैसे संप्रदायिकता का पर्याय ‘हिन्दूत्व’ से भी लगाया जाता है। इस ‘हिन्दुत्व’ शब्द का प्रतिपादक सावरकर थे जिनका कहना था कि भारत हिन्दुओं का देश है, हिन्दू वही है जो इस देश को अपनी मातृभूमि और पुण्य भूमि मानता है। अतः जो ऐसा नहीं करता है, उन्हें इस देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है। भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता के निम्नलिखित प्रभाव पड़े हैं:
(1) साम्प्रदायिकता ने लोकतंत्र को कमजोर किया है क्योंकि मतदान का आधार कई क्षेत्रों में धार्मिक पहचान बन गयी है तथा वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान हट गया है।
(2) राजनीति में साम्प्रदायिकता के समावेश से धार्मिक समुदायों में तनाव, रंगों और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न कर दी है।
(3) साम्प्रदायिकता के कारण राजनीतिक लाभ की दृष्टि से राजनीतिक दल ने अल्पसंख्यकों के प्रति तुष्टीकरण और वोट की नीति अपना ली है जबकि उनका वास्तविक विकास नहीं हो पाया है।
Q.9. प्रत्यक्ष प्रजातंत्र से आप क्या समझते हैं?
Ans. लोकतंत्र के दो रूप हैं- प्रत्यक्ष लोकतंत्र तथा अप्रत्यक्ष लोकतंत्र । प्राचीन यूनान के नगर राज्यों में प्रत्यक्ष लोकतंत्र की व्यवस्था थी। देश के सभी नागरिक एक स्थान पर एकत्रित होकर सरकार के मामलों पर विचार करते हैं और वाद-विवाद तथा निर्णय निर्माण में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेते हैं। इस व्यवस्था में चुनाव के माध्यम से प्रतिनिधियों के चुने जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। नागरिक प्रत्यक्ष रूप से कानून निर्माण कर निर्धारण, अधिकारियों की नियुक्ति आदि का निर्णय करते हैं। स्वीटजरलैण्ड में इस व्यवस्था को लागू करने के लिए देश को विभिन्न कैन्टनों में बाँटा गया है।
Q.10. भूमण्डलीकरण क्या है ?
Ans. व्यापार, वित्तीय प्रवाहों, टेक्नालॉजी और सूचनाओं के आदान-प्रदान से विश्व की अर्थव्यवस्था में समन्वय और एकीकरण वैश्वीकरण कहलाता है। एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण की बुनियादी बात है-प्रवाह। प्रवाह कई तरह के हो सकते हैं- विश्व के एक हिस्से के विचारों का दूसरे हिस्सों में पहुँचना, पूँजी का एक से ज्यादा जगहों पर जाना, वस्तुओं का कई-कई देशों में पहुँचना और व्यापार तथा बेहतर आजीविका की तलाश में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों की आवाजाही। यहाँ सबसे जरूरी बात है-‘विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव जो ऐसे प्रवाहों की निरंतरता से पैदा हुआ है और कायम भी है।
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Political Science all chapters Important question
भाग – A | समकालीन विश्व की राजनीति |
1 | शीत युद्ध का दौर |
2 | दो ध्रुवीयता का अंत |
3 | समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व |
4 | सत्ता के वैकल्पिक केंद्र |
5 | समकालीन दक्षिण एशिया |
6 | अंतर्राष्ट्रीय संगठन |
7 | समकालीन विश्व में सुरक्षा |
8 | पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन |
9 | वैश्विकरण |
भाग – B | स्वतंत्रता के समय से भारतीय राजनीति |
1 | राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियां |
2 | एक दल के प्रभुत्व का दौर |
3 | नियोजित विकास की राजनीति |
4 | भारत के विदेश संबंध |
5 | कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना |
6 | लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट |
7 | जन आंदोलनो का उदय |
8 | क्षेत्रीय आकांक्षाएं |
9 | भारतीय राजनीति : नए बदलाव |
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