Class 12 Geography Chapter 1 Notes in Hindi pdf
मानव भूगोल (Human Geography)
[ प्रकृति एवं विषय क्षेत्र – Nature and Scope ]
★ मानव भूगोल :भूगोल की वह भाग या वह शाखा (Branch) जिसके अंतर्गत हम लोग मानव की उत्पत्ति से लेकर अभी तक अर्थात वर्तमान समय तक, उसके पर्यावरण के साथ संबंधों तथा व्यवहारों का अध्ययन करते हैं उसे मानव भूगोल कहते हैं।
> मानव भूगोल मानव की सामाजिक स्थिति तथा प्रकृति के साथ व्यवहार का अध्ययन कराता है
> इसका मूल उद्देश्य मानवीय समस्या की पहचान कर उसे पृथ्वी ग्रह के साथ जोड़कर समाधान करना है।
> पृथ्वी को एक नवीन आकार देने में मानव की भूमिका का प्रतिपादन करने का अध्ययन मानव भूगोल में किया जाता है।
>>इस प्रकार भूगोल की तीन प्रमुख शाखा होती है
A) भौतिक भूगोल (Physical Geography)
B) मानव भूगोल (Human Geography)
C) प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography)
मानव भूगोल के संस्थापक फ्रेडरिक रेट जेल है जो परसिया के रहने वाले थे जिन्होंने एंथ्रोपॉजियोग्राफी [1882] की रचना की थी। इनका जन्म 1844 में हुआ था।
★ फ्रेडरिक रेड जेल के अनुसार मानव भूगोल ★
” मानव भूगोल मानव समाजो और धरातल के बीच संबंधों का संश्लेषित अध्ययन है।”
> मानव भूगोल के अनुसार
भूगोल का अध्ययन करने पर द्वैतवाद की स्थिति भी आती है। द्वैतवाद का अर्थ होता है दो अलग-अलग स्थिति का होना होता है, या भिन्न-भिन्न रूपों वाले हालात अर्थात विचारों में दो अलग-अलग रूप भूगोल के संदर्भ में आता है।
★ भावचित्रात्मक : इसका अर्थ होता है भाव को अर्थात मानसिक भाव को समझने तथा प्रकट करने के लिए बनाया गया चित्र से है । इसे अंग्रेजी भाषा में Expressions Pictorial कहा जाता है ।
> प्रकृति और मानव में बहुत पहले से अर्थात आदिमकाल से गहरा संबंध है। यह एक दूसरे के पूरक है यानी दोनों एक दूसरे के बिना अधूरा है |
> अर्थात प्रकृति और मानव अविभाज्य तत्व है।
> जर्मन भूगोलवेत्ता राज्य या देश के बारे में अध्ययन जीवित जीव के रूप में करते हैं । सड़को, रेलमार्गों, आदि को ‘परिसंचरण की धमनियों’ के रूप में अध्ययन किया जाता है।
★ मानव भूगोल की प्रकृति (Nature of Human Geography) :- मानव भूगोल की प्रकृति अत्यंत लोकप्रिय और मनमोहक है। मानव भूगोल की प्रकृति जितना सुविधाजनक और अच्छा होगा मानव उतना ही सुविधाजनक और अच्छे से अपना जीवन यापन कर सकेंगे
मानव भूगोल की प्रकृति के अंतर्गत निम्नलिखित तथ्य महत्वपूर्ण है ।
- भौतिक पर्यावरण के तत्व जैसे मुद्राएं, भू-आकृति, जल वायु, जल, हवा, सूरज, बारिश, पहाड़, समुद्र की धाराएं, प्राकृतिक वनस्पति इत्यादि
- मानव द्वारा बनाए गए दैनिक उपयोग का सुविधाजनक व्यवस्था जैसे घर, नगर , सड़क, गांव इत्यादि
- भौतिक संस्कृति आदि ।
★ मानव का प्राकृतीकरण (Nature Version) : मानव तकनीकी तथा प्रौद्योगिकी की सहायता से अपना जीवन को सुविधाजनक तथा सुव्यवस्थित बनाते हैं। मनुष्य को तकनीकी तथा प्रौद्योगिकी विरासत से प्राप्त होती है। शुरुआत में मानव अर्थात प्रौद्योगिकी की प्रारंभिक समय में मानव प्रकृति को ज्यादा महत्व देते थे तथा उसी की पूजा करते थे। मानव प्रकृति के नियमों का पालन कर तथा बेहतर ढंग से समझ कर प्रौद्योगिकी का विकास कर पाया । प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है।
जैसे :-
- आनुवंशिकी के नियम का अध्ययन कर मानव D.N.A के बारे में जाना और तरह-तरह की बीमारियों का सामाधान निकाला।
- घर्षण और उषमा की संकल्पना से आग की खोज हमलोगों को काफी मदद मिली।
★ पर्यावरणीय निश्चयवाद : निश्चयवाद एक अवधारणा है और यह प्रकृति तथा मानव [मनुष्य] के मध्य तालमेल के बारे में अध्ययन करता है ।
प्राचीन काल के भूगोलवेत्ता और यहां तक के दार्शनिक भी निश्चयवाद अवधारणा को समर्थन देते थे।
> निश्चयवाद विचारधारा के अनुसार मानव की दैनिक क्रियाकलाप तथा जीवन पर भौतिक कारक (जैसे जलवायु, बाढ़, प्राकृतिक वनस्पति) नियंत्रण बनाए रखता है।
★ प्रकृति का मानवीकरण (Humanization of Nature) :
प्रकृति में उपस्थित सभी वस्तुओं को मानव अपनी सुविधा के अनुसार इस्तेमाल करते हैं, किसी वस्तु को मानवीय रूप देने की क्रिया या भाव को मानवीकरण कहा जाता है।
> मानव को स्वतंत्र कारक बताया गया है। हर जगह पर उपस्थित सभी संभावनाओं का मालिक मानव है।
> सांस्कृतिक और तकनीकी ज्ञान प्रकृति का उपयोग में मानव को मदद करता है।
★ संभववाद (Possibleism) :- संभववाद मानव भूगोल का एक संप्रदाय रूप के समान है, जिसके अंतर्गत विचारधारा और दर्शन इस बात को मानते हैं कि “मनुष्य एक चिंतनशील प्राणी (Contemplative Animal) के रूप में प्राकृतिक पर्यावरण द्वारा उपस्थित कराए गए विकल्पों (Options) को चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं।”
> प्राकृतिक पर्यावरण का विस्तार जितना अधिक होगा उतना ही मानव स्वतंत्र होकर विकल्पों को चुनेंगे।
> प्रौद्योगिकी की सहायता से मानव प्रकृति द्वारा आरोपित जोखिम भरी अवरोधों पर अपना अस्तित्व बनाए रखने में सक्षम हुए।
जैसे बाढ़ के हालात में मानव अपनी जीवन को भी अच्छी तरह से व्यतीत करते हैं, क्योंकि मानव प्रौद्योगिकी की मदद से ऊंचे-ऊंचे घर का निर्माण करते हैं। जिसमें प्रौद्योगिकी का मुख्य भूमिका होती है।
★ नव निश्चयवाद (Neodeterminism) :- भूगोलवेत्ता ग्रिफिथ टेलर ने एक नई संकल्पना दी जो पर्यावरणीय निश्चयवाद और संभववाद के मध्य अपना मार्ग दर्शाता है । उन्होंने नव निश्चयवाद को रुको और जाओ निश्चयवाद का नाम दिया।
नव निश्चयवाद के अनुसार अर्थात नव निश्चयवाद विचारधारा के अनुसार मानव (मनुष्य) को प्रकृति के नियमों का पालन करना पड़ता है।
> ग्रिफिथ टेलर Austrellian भूगोलवेत्ता थे।
★ समय के गलियारों से मानव भूगोल : गलियारा का अर्थ होता है सीधा तथा लंबा पथ अर्थात गलि या रास्ता गलियारा को अंग्रेजी में Corridor कहते हैं । समय के साथ उपागमो (घटक पास आना) में बदलाव आया। पहले समाजों के बीच एक-दूसरे के बारे में ज्ञान सीमित थी।
15वी शताब्दी में यूरोप में अनेक प्रकार की खोज तथा अन्वेषणों का प्रयास किया गया क्योंकि अन्वेषण से मानव की प्रौद्योगिकी ज्ञान की प्राप्ति होती थी। धीरे-धीरे देशों और लोगों के बारे में मिथक और रहस्य (राज/Secret) खुलने शुरू हो गए। उपनिवेश युग ने अन्वेषणों को आगे बढ़ाने के लिए गति प्रदान की, ताकि वे अनेक संसाधनों तक पहुंच सके तथा उसका इस्तेमाल कर सकें।
> मानव भूगोल की कल्याणपरक अथवा मानवतावादी विचारधारा का लगाव मुख्य रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा आवासन जैसे पक्षों से था।
★ मानवतावादी (Humanist) : मानवतावाद मानव मूल्यों और चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने वाला अध्ययन अथवा विश्लेषण को कहते हैं।
जैसे शिक्षा का ऐसा दृष्टिकोण होना चाहिए जिससे छात्रों का साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा प्रौद्योगिकी के आधार पर अच्छा ज्ञान मिले।
★ आमूलवादी (Amul litigent) :– इसे रेडिकल विचारधारा के नाम से जाना जाता है। इसके अंतर्गत निर्धनता (गरीबी) की वजह से बंधन और सामाजिक असमानता की व्याख्या के लिए मार्क्स का सिद्धांत का इस्तेमाल किया गया है।
★ व्यवहारवादी (Behavioral) :- इसमें प्रत्यक्ष अनुभव के साथ-साथ मानव जातीयता, प्रजाति, धर्म इत्यादि पर आधारित सामाजिक संवर्गों के प्रारंभिक समय बोध पर ज्यादा ध्यान दिया गया है।
Note – मानवतावादी, आमूलवादी तथा व्यवहारवादी तीनों अलग-अलग विचारधारा है।
★ मानव भूगोल के क्षेत्र
- मानव भूगोल के क्षेत्र में सामाजिक भूगोल, नगरीय भूगोल, राजनीतिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल, आवास भूगोल तथा आर्थिक भूगोल आदि महत्वपूर्ण शाखाएं हैं।
- मनव भूगोल के उपक्षेत्र में निर्वाचन भूगोल, लिंग भूगोल, सैन्य भूगोल, संसाधन, कृषि, उद्योग, पर्यटन स्थल, सैन्य क्षेत्र, सांस्कृतिक, सामाजिक कल्याण, चिकित्सा, अंतरराष्ट्रीय व्यापार आदि प्रमुख भूगोल है।
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Thank you so much sir ! Means a lot for me . May God give you all the happiness and prosperity in your life ❤️
Geography ka second ch
Geography ka second Chapters
Hii
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Question
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Thanks sir ji
Thank u sir 🙏😊
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