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CHAPTER-5
यात्रियों के नजरिए |
Q 1. अलबरूनी की जीवनी को लिखें ?
Ans :- अलबरूनी का जन्म 4 दिसंबर 973 ईस्वी को उज्बेकिस्तान के एक शहर स्वाहजिम में हुआ था । विद्वान थे जिन्हें अरबी फारसी संस्कृत इत्यादि भाषाओं का ज्ञान था जब 1017 एक ईको महमूद गजनबी ने ख्वाहिश में पर आक्रमण किया तो वह अपने साथ कई विद्वान को अफगानिस्तान ले आए और जब यह भारत पर आक्रमण किए तो अपने साथ अलबरूनी को भी भारत लाए या भारत में 1024 से लेकर 1030 तक रहे और इन्होंने एक पुस्तक लिखी किताब उल हिंद जिसका अर्थ होता है भारत की खोज इस किताब में उन्होंने भारत की संस्कृति तालाब यहां की स्त्रियों के बारे मेलिखा इनकी मृत्यु 1048 को 75 वर्ष की उम्र में हो गई ।
Q 2. किताब उल हिंद क्या है ?
Ans :- यह अलबरूनी के द्वारा लिखा गया एक पुस्तक है जिससे हमें प्राचीन भारत के इतिहास के बारे में पता चलता है। यह अरबी भाषा का शब्द है मतलब भारत एक खोज ।
Q 3. इब्नबतूता की जीवनी पर प्रकाश डालिए ?
Ans :- इब्नबतूता का जन्म 1304 इसवी में मोरक्को नामक स्थान पर हुआ था । इब्नबतूता एक अफ्रीकी यात्री थे । कहा जाता है कि जिस तरह से एक पक्षी अपने घोसले को छोड़ कर चली जाती है । उसी तरह से इब्नबतूता ने अपना घर को छोड़ दिया था । यह खानाबदोश जाति के होने के कारण घुमक्कड़ पनइनके खून में था । इन्होंने अपने 73 वर्ष की आयु में 77640 मील की यात्रा की थी । कहा जाता है कि इसने अपने युग के सभी मुस्लिम देशों की यात्रा की थी । इसके अलावा उन्होंने श्रीलंका चीन इत्यादि देशों की यात्रा की थी । इन्होंने राहिला नामक पुस्तक लिखा जिससे हमें भारत के प्राचीन इतिहास का पता चलता है । तुगलक वंश के शासक मोहम्मद बिन तुगलक ने इब्नबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया । इन्होंने अपना राजदूत बनाकर चीन भेजा था । भारत में 1336 से लेकर 347 का पता चलता
Q 4. अलबरूनी के अनुसार भारत में महिलाओं की स्थिति कैसी थी समझाएं ?
Ans :- अलबरूनी के अनुसार भारत में महिलाओं की स्थिति बहुत ही खराब थी क्योंकि यहां की महिलाओं को बहुत ही कम उम्र में शादी करा दिया जाता था । पति और पत्नी की मृत्यु के द्वारा ही एक दूसरे से अलग होते थे क्योंकि तलाक व्यवस्था नहीं थी क्योंकि ताला की व्यवस्था नहीं थी नहीं थी कहां जाता था कि पुरुष चार पत्नियां रख सकते थैलेकिन उन्होंने सिर्फ एक पथरिया रखना चाहइस प्रकार हम कह सकते हैं कि अलबरूनी के अनुसार भारत में महिलाओं की स्थिति बहुत ही खराब थी । क्योंकि इनको कोई अधिकार नहीं था यह पुरुष पर आश्रित हुआ करती थी।
Q 5. सती प्रथा से आप क्या समझते हैं । वर्णन करें ?
Ans :- प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में कुर्तियां चली आ रही है जिसका पहला sakhay एरन सागर अभिलेख में मिलता हैउसी समय से जिन महिलाओं की पति मर जाता था उनको सती होना पड़ता था यानी आग में जलना पड़ता था इसी प्रथा को सती प्रथा के नाम से जानते हैं सती प्रथा को रोकने का पहला कार्य अकबर ने करवाया था उसके बात राजा राममोहन राय ने भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक की सहायता से यह कानून बनाया की अगर किसी ने सती प्रथा को अंजाम दिया तो उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी ।
Q 6. बाल विवाह से आप क्या समझते हैं समझाएं
Ans :- प्राचीन काल में बालक बालिकाओं की शादी बचपन में ही करा दी जाती थी जिसे बाल विवाह के नाम से जानते हैं राजा राममोहन राय ने लॉर्ड विलियम बैंटिक की सहायता से बाल विवाह को भी समाप्त किया वर्तमान समय में भारत के कानून में भी बाल विवाह करवाना कानूनन अपराध मानाजाता हैवर्तमान समय में लड़की की आयु 21 वर्ष एवं लड़की की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए इससे कम उम्र में शादी करना कानूनन अपराध माना जाता है।
7. इब्नबतूता और सती प्रथा के बीच क्या संबंध था ?
Ans :- इब्नबतूता भारत की यात्रा करने के लिए भारत आया तो राजस्थान के कुछ इलाकों में सती प्रथा प्रचलित था जब इब्नबतूता एक औरत को सती होते हुए देखा तो वह बेहोश हो गया उनको पता नहीं चल रहा था कि यह क्या हो रहा है लेकिन जब लोगों से पूछा तो उनको मालूम चला की पति के मरने के बाद यह औरत को सतीबनाया जा रहा है जिससे इब्नबतूता बहुत दुखी हुआइस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि इब्नबतूत सती प्रथा बीच बहुत ही गहरा संबंध था।
8. इब्नबतूता द्वारा दास प्रथा के संबंध में दिए गये साक्ष्यों की विवेचना कीजिये ।
Ans:- जिन यात्रियों ने अपने लिखित वृत्तान्त छोड़े वे सामान्यतया पुरुष थे जिन्हें उपमहाद्वीप में महिलाओं की स्थिति का विषय रुचिकर और कभी -कभी जिज्ञासापूर्ण लगता था ! कभी-कभी वे सामाजिक पक्षपात को सामान्य परिस्थिति मान लेते थे। उदाहरण के लिए, बाजारों में दास किसी भी अन्य वास्तु की तरह खुलेआम बेचे जाते थे और नियमित रूप से भेंटस्वरूप दिये जाते थे ! जब इब्नबतूता सिंधी पहुँचा तो उसने सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक के लिए भेंटस्वरूपघोड़े, ऊँट तथा दास खरीदे! जब वह मुल्तान पहुँचा तो उसने गवर्नर को ‘किशमिश बादाम के साथ एक दास और घोड़ा भेंट के रूप में दिए। इब्नबतूता बताता है कि मुहम्मद बिन तुगलक नसीरुद्दीन नामकथर्मोपदेशक के प्रवचन से इतना प्रसन्न हुआ • कि उसे एक लाख मुद्रा तथा दो सौ दास दे दिए ।
9. आर्यभट्ट पर एक संक्षिप्त लेख लिखें ।
Ans :- आर्यभट्ट गुप्तकाल का सबसे प्रसिद्ध और महान वैज्ञानिक और गणितज्ञ था ! उसने सूर्य सिद्धांत की रचना की ! सवप्रथम आर्यभट्ट ने ही यह सिद्ध किया की पृथ्वी अपनी धुरी पर चरों और घुमती है। उसने यह पौराणिक धारणा का खण्डन किया कि ग्रहण राहु और केतु के कारण होते हैं। उसने ग्रहण का कारण चंद्रमा और पृथ्वी की छाया बताया। आर्यभट्ट ने यह सिद्ध किया कि पृथ्वी गोल है। आर्यभट्ट ने अंकगणित, बीजगणित तथा ज्यामिति में अनेक कोर्जे की । उसने एक से लेकर नौ तक अंक तथा शून्य का आविष्कार भी किया।
10. साँची के स्तूप पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
Ans:- साँधी का स्तूप विश्व के प्रमुख सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है। यह स्तूप मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक नगरी विदिशा के समीप साँची की पहाड़ी पर स्थित है। यह स्तूप आज भी अच्छी हालत में हैं, जबकि अन्य करीब-करीब नष्ट हो गये हैं। इस महास्तूपका निर्माण सम्राट अशोक ने कराया था। साँची में एक विशाल तथा दो छोटे स्तूप है। महास्तूप में भगवान बुद्ध के द्वितीय स्तूप में अशोक कालीन धर्म प्रचारकों के एवं तृतीय स्तूप में बुद्ध के दो शिष्यों सारिपुत्र एवं महामोद्ग्ल्यायन के अवशेष रखे हुए हैं|
11. गुरुनानक पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
Ans:- गुरुनानक का जन्म पंजाब के गुजरानवाला जिले में 1498 ई. में रावी नदी के तट पर स्थित तलवंडी (ननकाना साहिब) नामक ग्राम में हुआ था। कबीर को भाँती नानक ने भी धार्मिक आडम्बरों, कर्मकांडों,अवतारवाद, मूर्तिपूजा, ऊँच-नीच आदि का विरोध किया और निर्गुण एवं निराकार ईश्वर की पूजा पर बल दिया ! हिन्दू-मुस्लिम एकता के वे प्रबल समर्थक थे ! मध्ययुगीन परिस्थितियों का गंभीर अध्ययन करके उन्होंने समस्याओं का संतोषजनक समाधान कर लिया। उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की। नानक की वाणी ने कालांतर में गुरु गोबिंद सिंह को व्यापक सिद्धांतों के आधार पर एक नये धर्म की स्थापना के लिए प्रेरित किया ।
12. कबीर के क्या सिंद्धांत थे ?
Ans:- कबीर का नाम भी भक्ति आंदोलन को गति प्रदान करने वाले संतों में विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यद्यपि वे अधिकार पढ़े लिखे नहीं थे किन्तु फिर भी उनमें विद्वता तथा ज्ञान की बहुतायत थी। कबीर सांप्रदायिक एकता के पक्षपाती थे तथा आडम्बरों के विरोधी थे। संक्षेप में कबीर के सिद्धांत निम्नलिखित थे –
(i) ईश्वर की एकता पर बल ।
(ii) निराकार निर्गुण ब्रहा की उपासना पर बल ।
(iii) कबीर मूर्ती पूजा तथा ब्रहा आडम्बरों का विरोध करते थे ।
(iv) एवं वह जाती-पति में भी विश्वास नहीं करते थे तथा इसका विरोध करते थे।
13. “उर्स दरगाहआप” से आप क्या समझते हैं ?
Ans:- किसी भी सिलसिले में पीर की मृत्यु के उपरांत उसकी दरगाह उनके मुरीदों के लिए भक्ति का स्थान बन जाता था। फरांसी भाषा में दरगाह का अर्थ दरबार है । इस पीर की दरगाह पर जियारत के लिए जाने की विशेषतौर पर उनकी बरसी के अवसर पर परंपरा आरंभ हो गई । इसी परंपरा को उसे कहा जाने लगा। आज भारत के प्रायः प्रत्येक प्रमुख दरगाह पर प्रत्येक वर्ष उर्स का आयोजन होता है !
14. अलवार और नयनार संतो के विषय में लिखें ।
Ans :- भारत में भक्ति परम्परा की शुरआत दक्षिण भारत में अलवार और नयनार संतों के माध्यम से हुई थी। दक्षिण भारत में अलवार और नयनार संतों ने घूम फिर कर धर्म का प्रचार किया! अलवार विष्णव और नयनार शौव मत के अनुयायी थे और दोनों ही मत के संतो ने जात – पट और अस्पृश्यता का विरोध कर समाज में सामंजस्य लेन का प्रयत्न किया । अलवार संतों का कहना था कि विष्णु बगवान की कृपा सभी वर्ण के भक्तों पर रहती है इसके लिए ब्राहाण होना जरुरी नहीं । एक तरह इस सम्प्रदाय के संतों ने सीधे-सीधे दक्षिण भारत में ब्राहाणवाद को चुनौती दिया था ! हलवार संतो की संख्या 12 तथा नयनार संतों की संख्या 63 बताई जाती है। इं संतो में कुछ महिलाएँ भी शामिल थीं ।
15. चार्वाक दर्शन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
Ans:- वैदिक कर्मकांड से जब जनता त्रस्त होने लगी इंसान आगामी जन्म के फेर में पड़कर वर्तमान जन्म में चिंतित रहने लगा, ऐसे में चार्वाक मुनि ने अपना दर्शन लोगों को दिया कि “जब तक जियो, सुख से जियो और कर्ज लेकर घी पियो ” इस प्रकार भौतिकवाद चार्वाक ने मानव को परलोक की चिंता छोड़ इहलोक में आनंदपूर्वक जीवन जीने का मार्ग बताया ! उनका कहना था – न आत्मा है, न पुनर्जन्म है और न ही कोई परलोक ! परलोक की चिंता छोड़कर सामने जो भी सुख है उनका उपभोग करो ।
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