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अध्याय 4
विचारक विश्वास और इमारतें |
Q1. प्राचीन भारत में वर्णव्यवस्था पर प्रकाश डालिये।
Ans : ऋग्वेद के पुरुष सुक्त तथा महाभारत के शांति पर्व से जानकारी मिलती है कि (विराट पुरुष) के मुख से ब्राहण, बहु से क्षत्रिय, जंघा से वैश्व तथा पैरों से शुद्र वर्ण की उत्पत्ति हुई। प्रारंभ में चतुर्वन्य व्यवस्था का आधार कर्म था। ब्राहण का कार्य कर्मकाण्ड सम्पन्न करना था। राजा क्षत्रिय होता था, जिसका कार्य रक्षा करना था। वैश्व का कार्य व्यापार था शुद्र वर्ण का कार्य इन तीनों वर्णों की सेवा करना था ।
Q2. करवैदिक काल में नारी की दशा कैसी थी ?
Ans :- ऋग्वैदिक काल में नारी को बड़ा आदर और सम्मान प्राप्त था वे अपनी योग्यता के अनुसार शिक्षा ग्रहण करती थीं। विश्वआरा, घोस, अपासा आदि तो इतनी विदुषी स्त्रियाँ हुई हैं कि उन्होंने ऋग्वेद के मंत्रों की रचना की । स्त्रियाँ गृहस्वामिनी मानी जाती थीं और सभी धार्मिक कार्यों में अपने पति के साथ भाग लेती थीं। पर्दे की प्रथा नहीं थी। स्त्रियों स्वच्छन्द रूप से घूम-फिर सकती थीं। इस काल में सती प्रथा नहीं थी। बहू विवाह का प्रचलन नहीं था! स्त्रियों को सैनिक शिक्षा भी दि जाती थी।
Q 3. गांधार कला की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
Ans :- कुषाण काल में भारत के उत्तर पश्चिम प्रान्त गंधार प्रदेश में एक ऐसी कला शैली का विकास हुआ जो विषय तथा भावों की दृष्टी से विशुद्ध भारतीय थी वहासौन्दर्य यूनानी था। अतः इस कला शैली को यूनानी बौद्ध शैली तथा गंधार शैली का नाम किन्तु जिसका दिया गया। गंधार कला का विषय मुख्यत: बुद्ध तथा उनके जीवन से सम्बन्धित दृश्य है ! महात्मा बुद्ध की मूर्तियों में यूनानी देवता एपोलो की मूर्तियों का अनुकरण किया गया है महात्मा बुद्ध का गृहत्याग, उनका कठोर तप धर्मचक्र परिवर्तन आदि प्रमुख हैं।
Q 4. कनिष्क के उपलब्धियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
Ans :- कनिष्क कुषाण वंस का सबसे महानतम शासक था जो 78 ई. में सम्राट बना एवं 101 ई. तक शासन किया। कनिष्क के सम्राट बनने की तिथि से ही उपलब्धियों का दौर शुरू हो जाता है। शक संवत की शुरुआत उसके गद्दी पर बैठने की तिथि (78 ई.) से ही मणि जाती है। कनिष्क भारत का पहला शासक था जिसने चीन पर आक्रमण करके उसके आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र सिल्क रूटपर कब्जा किया था। कनिष्क बौद्ध धर्म अनुयायी था। उसने अशोक की तरह ही एशिया एवं विहार में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया था ! सम्राट कनिष्क अपने समय के विद्धनों, कलाकारों और चिकित्सकों को अपने दरबार में संरक्षण प्रदान किया |
Q5. निपिटक के बारे में आप क्या जानते हैं?
Ans :- बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् उनके अनुयायियों ने उनकी शिक्षाओं का संकलन तीन पिटकों सुतपिटक, विनयपिटक एवं अभिधम्मपिटक में किया। इन्हें ही संयुक्त रूप से त्रिपिटक कहा जाता है।
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Q6. स्तूप, चैत्य, विहार से आप क्या समझते है ?
Ans :- स्तूप (stup) स्तूप का अर्थ तिला या ढेर हिता है। महात्मा बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद उनकी अस्थियों को आठ भागों में बाँटा गया था उनपर समाधियों का निर्माण किया गया। सामान्यतः इन्हीं को स्तूप कहते हैं।
Q7. जैन-धर्म के श्वेताम्बर तथा दिगम्बर में क्या अंतर है?
Ans :- मौर्यकाल में जैन धर्म के दो सम्प्रदाय बन गये : (i) श्वेताम्बर (ii) दिगम्बर! इन सम्प्रदायों के मौलिक सिद्धांतो में कोई विशेष अंतर नहीं था और दोनों ही समान रूप से जैन धर्म के सिद्धांतो का समर्थन करते थे। श्वेताम्बर सम्प्रदाय सरल तथा साधारण नियमों के पल पर विशेष बल देता था जबकि दिगम्बर सम्प्रदाय नियमों को कठोरता एवं अनुशासन पर अपना विश्वास रखता था। स्वेताम्बर सम्प्रदाय जबकि दिगम्बर जैनी नग्न रहते हुए सन्यासी का जीवन व्यतीत करते थे।
Q 8. अभिलेख किसे कहा जाता है ?
Ans :- प्राचीन काल में राजाओं के द्वारा अपनी घटनाओं को पत्थर में लिखवा दिया जाता था जिसे अभिलेख कहा जाता है एपीग्राफी अंग्रेजी शब्द का हिंदी रूपांतरण अभिलेख होता है अभिलेख के अध्ययन को अभिलेख कहा जाता है।
Q 9. अशोक के अभिलेखों का वर्णन कीजिए?
Ans :- महान सम्राट अशोक के 40 से अधिक अभिलेख मिल चुके हैं अशोक के अभिलेख की खोज 1750 को किया गया। अशोक के अभिलेख को पढ़ने वाला प्रथम व्यक्ति जेम्सप्रिंस था अशोक के अभिलेख को 1837 को कहा गया अशोक के अभिलेखों को ग्रीक माइक और पाली भाषा में लिखा गया था अशोक का सबसे लंबा अभिलेख सातवां अभिलेख है जबकि सबसे छोटा अभिलेख रुई देवि का अभिलेख है अशोक का नाम अशोक गुजरा अभिलेख में मिलता है अशोक को पुराणों में अशोक वर्धन के नाम से भी जाना गया है अशोक के 13 अभिलेख से हमें कलिंग युद्ध का पता चलता है।
Q 10. अशोक के अभिलेखों को कितने भागों में बांटा गया है समझाए ?
Ans :- अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में बांटा गया है जो है।
- शिलालेख
- स्तंभ लेख
- गुहा लेख
Q 11. इतिहास के लेखन में अभिलेख की क्या भूमिका होती है समझाएं ?
Ans :- इतिहास लेखन में अभिलेख की महत्वपूर्ण भूमिका होती है प्राचीन काल के इतिहास को अभिलेख के बिना लिखना बहुत ही कठिन होगा अभिलेखों के मदद से हम प्राचीन काल के इतिहास को लिख पाते हैं कई इतिहासकारों ने तो अभिलेखों के बिना पर अशोक की जीवनी भी लिख दिया अभिलेख के द्वारा हमें प्राचीन काल के इतिहास के बारे में पता चलता है किन राजाओं का शासन काल कैसा था वह अपने प्रजा से किस तरह का व्यवहार करते थे अभिलेख से हमें सच्ची घटनाओं का पता चलता है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इतिहास के लेखन में अगले की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
Q 12. जैन धर्म के कौन-कौन से सिद्धांत हैं ?
Ans :- जैन धर्म के सिद्धांत
- सत्य
- अहिंसा
- ASTAY
- APARIGARAH
- ब्रह्मचर्य
Q 13. स्तूप क्या था ?
Ans :- स्तूप TILA या ढेर था गौतम बुध के मरने के बाद उनकी हस्तियों को आठ भागों में बांट कर टीले का निर्माण किया गया था जिसे स्तूप कहा जाता है।
Q 14. त्रिपिटक क्या है ?
Ans :- त्रिपिटक का शाब्दिक अर्थ तीन TOKRIYA होता है जिसमें पुस्तक को रखा जाता था । गौतम बुध मृत्यु के उपरांत इनकी शिक्षाओं को इन्हीं त्रिपिटक रखा गयारखा गया है।
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Q 15. बौद्ध संगति क्यों बुलाई जाती थी चतुर्थी का क्या महत्व था ?
Ans :-गौतम बुध की मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों में मतभेद ना हो इसलिए वह संगति बुलाई जाती थी चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन कश्मीर में कनिष्क के शासनकाल में किया गया था यह बोध संगति प्रथम शताब्दी में आयोजित किया गया था।
Long Answer Type Questions |
Q 1. बोद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग के बारे में लिखिए।
Ans :- अष्टांगिक मार्ग के सिद्धांतो निम्नलिखित हैं।
(i) सत्य विश्वास → मनुष्य को सत्य में विश्वास होता चाहिए। उसे इस बात पर दृढ़ विश्वास होना चाहिए की लालसाओं के दमन से ही मनुष्य दुःखों से छुटकारा पा सकता है । सत्य विश्वास से ही मनुष्य पाप और पुण्य अच्छाई और बुराई में भेद कर सकता है 1
(ii) सत्य विचार → मनुष्य के विचार शुद्ध होने चाहिए। उसे व्यर्थ के रीती-रिवाजों, यज्ञों, बलियों को छोड़कर अपने मन में शुद्ध विचार उत्पन्न करने चाहिए और उसे संसार की बुराइयों से सदा दूर रहना चाहिए।
(iii) सत्य वचन → मनुष्य को नम और सत्य बोलना चाहिए। उसे न तो कठोर वचन बोलना चाहिए और न ही दूसरों की निंदा करनी चाहिए।
(iv) सत्य कर्म → मनुष्य के कर्म शुद्ध होना चाहिए। उसमे दया, दान और सारी मानव जाती से प्रेम के गुण होना चाहिए ।
(v) सत्य रहन-सहन → मनुष्य का जीवन सदा सत्य होना चाहिए।
(vi) सत्य प्रयत्न → मनुष्य के प्रयत्न सत्य होने चाहिए। उसके विचार और व्यवहार दोनों शुद्ध होना चाहिए ।
(vii) सत्य स्मृति → मनुष्य को अपने मन से बुरी बैटन का ही निकालकर सत्य बैटन का ही चिंतन करना चाहिए ।
(viii) सत्य ध्यान → मनुष्य को सांसारिक मोह माया को त्याग कर ‘सत्य ध्यान में अपने मन को लगाना चाहिए ।
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Q 2. बौद्ध संगीतियों का वर्णन कीजिए ?
Ans :- गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वान पश्चात् समय-समय पर बौद्ध धर्म की व्याख्या हेतु चार बौद्ध सभाओं का आयोजन किया, जिन्हें बौद्ध संगीति के नाम से जाना जाता ही । इनका विवरण इस प्रकार है ―
प्रथम बौद्ध संगीति:- राजगृह (483ई. पू.) में अजातशत्रु के शासनकाल में जाना जाता आयोजित किया गया था।
दुतीय बौद्ध संगीति:- वैशाली (383ई. पू.) में कालाशोक के शासनकाल में आयोजित किया गया था।
तृतीय बौद्ध संगीति:- पाटलिपुत्र (250ई. पू.) में अशोक के शासनकाल में आयोजित किया गया था।
चतुर्थ बौद्ध संगीति:- कुण्डलवन विहार (कश्मीर) प्रथम शताब्दी में कनिष्क के शासन में आयोजित किया ।
Q3. अशोक के धर्म से आप क्या समझते हैं ?
Ans :- अशोक ने अपनी प्रजा के नैतिक उत्थान के लिए जो नियम का प्रतिपादन किया उसे कहा जाता है धन के विशेषताओं को निम्न रूप में उल्लेख किया गया है
- अहिंसा – अहिंसा करना अशोक के धर्म की प्रमुख विशेषता थी अशोक ने मनुष्य नहीं पेड़ पौधे और जीव जंतु की हत्या करने से भी रोका
- आदर करना – अशोक के धर्म की प्रमुख विशेषता यह थी कि दूसरे धर्म का आदर करने के लिए भी कहता था।
- नैतिकता – अशोक केधम प्रमुख विशेषतायह थी किवह नैतिकता को मानते थे|
- सत्य बोलना- अशोक के धर्म की प्रमुख विशेषता थी अपने मानने वालों कोसत्य बोलने के लिए कहता था ।
Q4. महावीर स्वामी की जीवनी एवं उनके उपदेशों को लिखें?
Ans :- महावीर स्वामी का जन्म 540 ईसा पूर्व को वैशाली के कुंडल ग्राम में हुआ था इनका वास्तविक नाम वर्धमान था इनके पिता का नाम सिद्धार्थ एवं माता का नाम प्रिसिला था। राजकुमारी यशोदा इनकी पत्नी थी इनकी एक पुत्री थी जिनका नाम अनुजया प्रियदर्शी थी इन्होंने इनका विवाह जमील नामक एक व्यक्ति से करवाया था। महावीर स्वामी ने 30 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग किया 12 वर्ष कठिन तपस्या करने के बाद इनको ज्ञान की प्राप्ति हुई 72 वर्ष की अवस्था में 468 ईसा पूर्व को पावापुरी नामक स्थान पर इनकी मृत्यु हो गई उन्होंने पांच उपदेश दिए थे जिनको निम्न रूप में उल्लेखित किया गया है
- → सत्य बोलना
- → हिंसा ना करना
- → चोरी ना करना।
- → संपत्ति ना रखना
- → ब्रह्मचर्य
Q 7. गौतम बुद्ध की जीवनी लिखें एवं उद्देश्यों को लिखें ?
Ans :- गौतम बुध का जन्म 563 ईसा पूर्व को नेपाल की तराई कपिलवस्तु के निकट लुगनी नामक ग्राम में हुआ था इनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था। इनके पिता का नाम शुद्धोधन एवं माता का नाम महामाया थी जो इनके जन्म के सातवें दिन ही मर गई थी इनकी सौतेली मां प्रजापति गौतमी ने इनका लालन-पालन किया जो इनकी मौसी भी थी। बचपन से ही गौतम बुद्ध चिंतनशील स्वभाव का था। चिंतनशील स्वभाव के होने के कारण इनके पिता ने मात्र 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरानामक कन्या से विवाह करा दिया जिससे उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिनका नाम इन्होंने राहुल रखा इन्होंने 29 वर्ष की अवस्था में गिरीह त्याग किया 6 वर्ष कठिन तपस्या करने के पश्चात इन्हें निरंजना नदी के तट पर पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई और यह सिद्धार्थ गौतम बुध के नाम से जाना गया इसी वर्ष की अवस्था में 483 पूर्व को उत्तर प्रदेश के निकट कुशीनगर उत्तर प्रदेश देवरिया में हो गया इन्होंने निम्नलिखित उपदेश दिए :
- → चोरी ना करना
- → सदा सत्य बोलना
- → संपत्ति ना रखना।
- → माता पिता की सेवा करना
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Q 8. गौतम बुध के अष्टांगिक मार्ग कौन-कौन से थे समझाएं ?
Ans :- गौतम बुध के अष्टांगिक मार्ग निम्नलिखित हैं जिसको निम्न रूप में उल्लेख किया गया है।
- सम्यक दृष्टि
- सम्यक वाणी
- सम्यक संकल्प
- सम्यक कर्म
- सम्यक आजीव सम्यक व्यायाम
- सम्यक स्मृति
- सुमित समाधि
Q 9. जैन धर्म बौद्ध धर्म में कौन-कौन सी समानताएं थी ?
Ans :- जैन धर्म और बौद्ध धर्म में निम्नलिखित समानताएं थी जो निम्यान है |
- दोनों का मानना था कि ईश्वर नहीं होता है।
- दोनों ने कहां की पुनर्जन्म होता है।
- दोनों ने अहिंसा पर बल दिया।
- दोनों ने कहा कि जीवो की हत्या करना पाप है।
- दोनों धर्मों ने कहा कि संसार दुखों से भरा है।
Q 10. बौद्ध धर्म के पतन के कौन कौन से कारण थे?
Ans :- बौद्ध धर्म के पतन के निम्नलिखित कारण थे :
- हिंदू धर्म में सुधार – बौद्ध धर्म की उन्नति को देखकर हिंदू धर्म में सुधार किया गया जो बौद्ध धर्म के के पतन का एक प्रमुख कारण बना हिंदू धर्म में सुधार किया गया तो कई धर्मों हिंदू धर्म को अपनाया इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हिंदू धर्म में सुधार होना धर्म के पतन का प्रमुख कारण बना।
- विभाजन – गौतम बुध की मृत्यु के बाद बौद्ध धर्म दो भागों में बढ़ गया महायान तथा हीनयान में जिससे बौद्ध धर्म में बहुत सारीकमियां आ गई जो बौद्ध धर्म के पतन का एक प्रमुख कारण बना इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वह धर्म का पतन का प्रमुख कारण विभाजन था ।
- अशोक की मृत्यु – महान सम्राट अशोक की मृत्यु भी बौद्ध धर्म के पतन का एक प्रमुख कारण था अशोक अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार विदेशों में करवाया था इनके शासनकाल में सभी लोग बौद्ध धर्म को मानते थे इन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार करने के लिए अपना पुत्र एवं पुत्री को श्रीलंका भेज दिया था इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बौद्ध धर्म के पतन का प्रमुख कारण अशोक की मृत्यु थी।
- विदेशी आक्रमण – बौद्ध धर्म के पतन का प्रमुख कारण विदेशी आक्रमण था विदेशी लोगों ने बार-बार आक्रमण किया जिसके कारण बौद्ध धर्म का विनाश हो गया HUN लोगों ने जब आक्रमण किया तो सबसे अधिक हानि बौद्ध धर्मपर पड़ा इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बौद्ध धर्म के पतन का प्रमुख कारण विदेशी आक्रमण था।
- संघ में भ्रष्टाचार पनपना– संघ में भ्रष्टाचार पनपना बौद्ध धर्म के पतन का प्रमुख कारण बना उस समय बौद्ध विहार भ्रष्टाचार का प्रमुख केंद्र थाइनके साधु लोग भोग विलास में लुप्त हो गए जिसके कारण बौद्ध धर्म का पतन हो गया इस प्रकार अभियुक्त वर्णन से स्पष्ट हो जाता है कि बौद्ध धर्म के पतन के कौन कौन से कारण थे।
Q 11. जैन धर्म बौद्ध धर्म में कौन-कौन सी और असमानताए थी ?
Ans :- जैन और बौद्ध धर्म में निम्नलिखित असमानताएं थी जिस कोनिम्न रूप में उल्लेख किया गया है।
- i. दोनों ही अहिंसा वादी थे लेकिन बोध की तुलना में जैन अत्यधिक अहिंसा वादी थे ।
- गौतम बुद्ध ने पाली भाषा में उपदेश दिया जबकि महावीर स्वामी ने प्रकृति भाषा में उपदेश दिया।
- iii. जैन मूर्ति पूजा के उपासक थे जबकि बहुत लोग मूर्ति पूजा के उपासक नहीं थे ।
- मूर्तिपूजा बौद्ध धर्म को राजा का आश्रय प्राप्त था जबकि जैन धर्म को राजा का आश्रय प्राप्त नहीं था ।
- बौद्ध धर्म का प्रचार विदेशों तक हुआ जबकि जैन धर्म का प्रचार भारत में ही सीमित कर रह गया।
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