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Chapter 2
किसान जमींदार और राज्य |
Q 1. महाजनपद से आप क्या समझते हैं?
Ans :- उत्तर वैदिक काल में जिस क्षेत्रीय राज्यों के उदय की प्रक्रिया आरंभ हुई थी वह छठी सदी ई०पू० तक आते-आते बड़े राज्यों में बदल गई। इन्हीं प्रभुता सम्पन्न राज्य को महाजनपद कहा गया है! बौद्ध ग्रन्थ अंगुतर निकाय के अनुसार 16 महाजनपद थे ।
Q 2. मगध साम्राज्य पर टिप्पणी लिखें:
Ans :- मगध एक भुत प्राचीन तथा शक्तिशाली महाजनपद था । इसमें दक्षिणी बिहार के वर्तमान पटना तथा गया जिले सम्मिलित थे। छठी तथा चौथी शताब्दी ई०पू० के बिच के काल में यह महाजनपद बहुत शक्तिशाली बन गया ! इस राज्य की स्थिति अधिक दृढ़ होने के विशेष कारण थे। इसकी प्राचीन राजधानी राजगृह थी। राजगीर के इर्द-गिर्द पहाड़ियाँ थीं जो इसकी प्राकृतिक रूप से रक्षा करती थीं! यहाँ की भूमि बहुत उपजाऊ थी ! इसकी सिंचाई गंगा तथा सोन नदियों के पानी से होती थी तथा इसमें बहुत अच्छी फसल उगती थी ! गंगा और सोन नदियों में नौकाओं द्वारा यातायात की सुविधा भी मगध की समृद्धि का कारण थी।
Q 3. चंद्रगुप्त द्वितीय के उपलब्धियों का को समझाएं ?
Ans :- चंद्रगुप्त विक्रमादित् गुप्त वंश का एक महान शासक था इनका शासनकाल 375 ई से 412 ई तक चला था इन्होंने राजकुमारी कुबरेंगासे दिवाह किया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की इन्होंने ही गुप्त संवत चलाया था इन के शासनकाल में नवरत्न रहते थे इनके शासनकाल में ही चीनी यात्री फाहयान भारत आया था इस प्रकार चंद्रगुप्त द्वितीय के उपलब्धियों का वर्णन हो जाता है।
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Q 4. इतिहास के लेखन में अभिलेखों का क्या महत्व है ?
Ans :- इतिहास के लेखन में अभिलेख का महत्वपूर्ण योगदान है प्राचीन काल में राजाओं के समय जो घटनाएं घटती थी राजा उन्हें अभिलेख में लिखा देते थे अभिलेख लिखवाने की शुरुआत अशोक ने की थी जब हम अभिलेख का अध्ययन करते हैं तो हमें प्राचीन काल के इतिहास के बारे में पता चलता है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इतिहास के लेखन में अभिलेख का महत्वपूर्ण योगदान है ।
Q 5. चन्द्रगुप्त मौर्सकी जीवनी और उपलब्धि को समझाएं ?
Ans :- चंद्रगुप्त मौर्यका जन्म 345 ईपू में हुवा था। इनकाशासनकाल 322 ईपूसे 198 ईपूतक चला था। यह जैन धर्म का अनुयाई थे। कौटिल्य की मदद से इन्होंने नंद वंश के अंतिम शासक धनानंद को परास्त किया और मौर्य वंश की स्थापना की चंद्रगुप्त मौर्य के इतिहास के बारे में कौटिल्य के द्वारा लिखी पुस्तक अर्थशास्त्र एवं मेगास्थनीज के द्वारा लिखी पुस्तक इंडिका से हमें पता चलता है चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 198 ईसा पूर्व सल्लेखना के द्वारा हो गई थी इनके उपलब्धियों को निम्न रूप में उल्लेखित किया गया है।
→ इसकी प्रमुख उपलब्धियां थे किया विशाल साम्राज्य निर्माता थे।
→ इसकी प्रमुख उपलब्धियां थी कि यह एक महान योद्धा थे। इनकी प्रमुख उपलब्धियां थी कि या लोक कल्याणकारी राजा थे।
Q 6. सुदर्शन झील पर एक टिप्पणी लिखें ।
Ans :- सुदर्शन झील का निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में किया गया था । यह झील गुजरात के गिरनार नामक स्थान पर स्थित है या झील का निर्माण इसलिए किया गया था ताकि सिंचाई के लिए पानी इकट्ठा किया जा सके। जूनागढ़ अभिलेख से पता चलता है कि जब यह झील टूट गया था तो इस स्कंद गुप्त नामक एक शासक ने इसकी मरम्मत करवाई थी।
Q 7. अशोक के धम्म से आप क्या समझते हैं?
Answer :- अशोक ने अपनी प्रजा के नैतिक उत्थान के लिए कुछ सिद्धांत बनाये, इन सिद्धांतों को अशोक का धम्म कहा जाता है ! अशोक का धम्म सभी धर्मों का सर संक्षेप था।
धम्म की विशेषताएँ
(i) सार्वभौमिकता :- अशोक का धर्म एक सार्वभौमिक धर्म था क्योंकि इसमें सभी अच्छे गुणों का समावेश था जो सभी धर्मों में समान रूप से देखने को मिलता है ।
(ii) अहिंसा :- अहिंसा अशोक के धर्म की एक प्रमुख विशेषता थी, उसके धर्म में न केवल मनुष्यों वरन पशुओं की हत्या का भी निषेध था !
(iii) सहिष्णुता :- सहिष्णुता अशोक के धम्म की दूसरी प्रमुख विशेषता थी । वह सभी धर्मों का आदर करता था।
(iv) नैतिकता :- अशोक के धर्म की सबसे बड़ी विशेषता उसमें नैतिकता का पाया जाना था ।
Q 8. अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए क्या कार्य किये ?
Ans :- कलिंग युद्ध के उपरांत अशोक ने बौध धर्म के प्रचार प्रसार करने के लिए तन, मन, धन से कार्य किया! अशोक ने महात्मा बुद्ध से संबंधित तीर्थ स्थानों लूम्बनी, कपिलवस्तु, गया, कुशीनगर तथा श्रावस्ती की यात्राएँ की और जिन सिद्धांतों का प्रचार किया उनका पालन स्वयं भी किया। अशोक ने बौद्ध धर्म के नियमों को शिलाओं स्तंभ, गुफाओं पर खुदताया। उसने अनेक स्तूप बनवाये उसने बाँध शिक्षाओं को आर्थिक सहायता दी। बाँध धर्म की आंतरिक फुट को दूर करने के लिए पाटलिपुत्र में बौद्धों की तीसरी संगीति का आयोजन भी किया। लंका में अशोक अपने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्र को भेजा। इस प्रकार अशोक ने बौद्ध को विश्वधर्म बना दिया ।
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Q 9. कलिंग युद्ध का अशोक पर क्या प्रभाव पड़ा?
Ans :- कलिंग युद्ध के परिणामस्वरूप अशोक का जीवन बिल्कुल बदल गया। उसके जीवन में आये कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन निम्नलिखित हैं ।
(i) कलिंग युद्ध में हुए रक्तपात को देखकर अशोक ने युद्धघोस के स्थान पर धर्मघोष करने का निश्चय किया|
(ii) इस युद्ध के बाद अशोक अहिंसा का पुजारी बन गया। युद्ध के साथ-साथ उसने मांस खाना तथा शिकार खेलना भी बंद कर दिया|
(iii) अशोक ने बौध धर्म ग्रहण कर लिया। इस राजधर्म घोषित करके इसके प्रचार कार्य में जुट गया ।
(iv) अशोक प्रजा पालक बन गया और जनहीत संबंधी अनेक कार्य किये ।
Q 10. चाणक पर एक टिप्पणी लिखें ।
Ans :- चाणक्य की तक्षशिला का निवासी था यह एक ब्राह्मण का पुत्र था अपने समय के यह बहुत बड़े विद्वान थे इन्होंने अर्थशास्त्र नामक पुस्तक की रचना की जिससे हमें चंद्रगुप्त मौर्य के इतिहास के बारे में पता चलता है इन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य की सहायता की जिससे चंद्रगुप्त मौर्य धनानंद को हराने में कामयाब हुआ था।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर |
Q 1. कलिंग युद्ध का अशोक पर क्या प्रभाव पड़ा ?
Ans :- कलिंग युद्ध का अशोक पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा जिसको निम्न रूप में उल्लेखित किया गया है।
- कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने कसम खाई कि आज के बाद मैं कभी शस्त्रनहीं उठाऊंगा
- कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने अपना धर्म परिवर्तन किया एवं इन्होंने बौद्ध धर्म को अपना लिया ।
- अशोक कलिंग युद्ध के बाद इतना ज्यादा बदल गया कि इन्होंने पूरी उम्र लोगों की सेवा एवं बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार पर लगा दिया ।
- इस युद्ध के बाद अशोक अहिंसा का पुजारी बन गया।
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Q 2. मौर्य वंश के राजाओं के जीवनी एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए ?
- चंद्रगुप्त मौर्य – चंद्रगुप्त मौर्य का शासन काल 322BC–298BC मौर्य वंश की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश के शासक घनानंद की हत्या करके किया था इन्होंने सेल्यूकस निकेटर की पुत्री हिलना ने लिया से विवाह कियाएवं इनको 500 हाथी उपहार में दिए यह जैन धर्म के अनुयाई थेसेल्यूकस का राजदूत मेगास्थनीज चंद्रगुप्त के दरबार में आए थे इन्होंने इंडिका नामक पुस्तक की रचना की जिससे हमें चंद्रगुप्त मोर के इतिहास के बारे में पता चलता है इनकी मृत्यु 298BC को सरवन बेला नामक स्थान पर हो गए इनकी मृत्यु सल्लेखना के द्वारा हुआ था।
- बिंदुसार – इन का शासनकाल 298BC–273BC तक चला था इन्होंने 25 वर्षों तक शासन किया था इनको शत्रु विनाशक के नाम से भी जाना जाता है इन के दरबार में यूनानी राजदूत डायमीटर आए थे पुराणों में से 16 राज्यों का विजेता कहा जाता है इनके शासनकाल में दो बार विद्रोह हुआ था पहले मित्रों का दमन इसके बड़े पुत्र सुशील ने किया था दूसरे विद्रोह का दमन अशोक ने किया था इनकी मृत्यु 273 ईसा पूर्व को हो गई ।
- अशोक महान – इनका का शासनकाल 273BC 236BC तक चला था यह बिंदुसार के पुत्र थे कहा जाता है कि अशोक ने अपने 99 भाई को मार कर राजा बना था यह मौर्य वंश का तीसरा राजा था इन्होंने 261 ईसा पूर्व को कलिंग पर आक्रमण किया कलिंग के राजा कलिंग राज खारवेल की हत्या कर दी इन्होंने इस युद्ध में डेढ़ लाख आदमी की हत्या कर दी एक लाख आदमी को बंदी बना लिया इस युद्धइस युद्ध से अशोक का दिलपिघल गयाएवं उन्होंने कसम खाई की आज के बाद कभी किसी की हत्या नहीं करूंगा उन्होंने बौद्ध धर्म को अपना लियाअपना पूरा उम्र अपनी प्रजा की सेवा एवं बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में लगा दिया अशोक को अशोक महान के नाम से जाना जाता है इनकी मृत्यु 236 इसको हो गई इनके दो पुत्र थे महेंद्र और संघमित्रा इन्होंने युद्ध विजय के स्थान पर बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार पर ध्यान दिया।
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